करवार : पद्मश्री से सम्मानित और वृक्ष माता के नाम से प्रसिद्ध तुलसी गौड़ा का 86 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. वह वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों से जूझ रही थीं. उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोल तालुक स्थित उनके गृह गांव हंनाली में उन्होंने अंतिम सांस ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि तुलसी गौड़ा हमेशा पर्यावरण संरक्षण के लिए मार्गदर्शक बनी रहेंगी.
कौन थीं तुलसी गौड़ा
तुलसी गौड़ा हलक्की आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती थीं. वे एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने कभी स्कूल की दहलीज नहीं चढ़ी, लेकिन उनकी प्रकृति से गहरी पहचान और प्रेम ने उन्हें वृक्षारोपण का अद्भुत ज्ञान दिया. अपनी जीवन यात्रा में उन्होंने एक लाख से अधिक पौधे लगाए, जिनमें से कई आज बड़े वृक्ष बन चुके हैं.
पद्मश्री, इंदिरा प्रियदर्शिनी व वृक्ष मित्र जैसे पुरस्कार से सम्मानित
पद्मश्री पुरस्कार के अलावा, तुलसी गौड़ा को इंदिरा प्रियदर्शिनी और वृक्ष मित्र जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया. वन विभाग में अपने 14 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने अंकोला और आसपास के क्षेत्रों में हजारों पेड़ लगाए और उनका संरक्षण किया. रिटायरमेंट के बाद भी उनका पौधरोपण कार्य जारी रहा.
उनके लिए हर पौधा उनकी संतान जैसा था
‘जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया’ के नाम से मशहूर तुलसी गौड़ा का पर्यावरण संरक्षण के प्रति अगाध प्रेम आदिवासी समुदाय से विरासत में मिला था. वे न केवल पौधों को लगाने, बल्कि उनकी देखभाल भी करती थीं और उनका हर पौधा उनके लिए संतान जैसा था. उनके ज्ञान का खजाना न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए अमूल्य था.
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