रांची : बुजुर्ग कहते हैं कि आपकी रीढ़ जब बेहतर तरीके से कार्य नहीं करती है तो ये बुढ़ापा का लक्षण होता है. पहले यह समस्या 50 की उम्र के बाद होती थी. लेकिन बदलती लाइफस्टाइल और काम करने के तरीके के कारण लोग समय से पहले बूढ़े हो जा रहे है. ये हम नहीं बल्कि आर्थो के डॉक्टर कह रहे है. जी हां, एक ही पोज में लंबे समय तक काम करने की हमारी आदत स्पाइन से जुड़ी बीमारियों को दावत दे रही है. इतना ही नहीं अनदेखी करने से यह गंभीर बीमारी का रूप भी ले रही है. जिससे कि आज हर उम्र के लोग परेशान है.
बॉडी पॉश्चर एक बड़ी समस्या
आज के दौर में यह समस्या अनियमित लाइपस्टाइल, खानपान और खराब बॉडी पॉश्चर की वजह से लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रही है. आर्थों ओपीडी में हर दिन दर्जनों मरीज ऐसे आते हैं तो रीढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं. रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड में दर्द की शिकायत इन दिनों आम हो गई है. हर उम्र के मरीज इससे प्रभावित है. आर्थो सर्जन डॉ शशिकांत सुमन ने बताया कि हमारे ओपीडी में हर दिन 4 से 5 केस आते हैं जो खराब पॉश्चर के चलते स्पाइनल पेन से जूझ रहे होते हैं.
ये है कारण
अर्ली ऐज में डिजनरेटिव बीमारी होने का प्रमुख कारण जंक फूड का अधिक सेवन
कम उम्र में युवाओं में बढ़ती नशे की लत
फिजिकल एक्टिविटी का कम होना
खराब पॉश्चर में काम करना
लंबे समय तक गेमिंग और सिटिंग वर्किंग
स्ट्रेच और एक्सरसाइज से रहें फिट
लम्बे समय तक बैठकर काम करने लोगों को विशेष तौर पर थोड़ी-थोड़ी देर में स्ट्रेचिंग करनी चाहिए. वहीं पेरेंट्स को अपने बच्चों के सही पॉश्चर का ख्याल रखते हुए एक पोजिशन में लम्बे समय तक बैठने से बचाना चाहिए. स्पाइन से जुडी समस्याओं को अर्ली स्टेज पर ही ट्रीटमेंट करा लेना बेहद जरूरी है. प्रतिदन मामूली एक्सरसाइज कर हम अपने स्पाइन को फिट रख सकते है. एक्सपर्ट्स की मानें तो 40-45 मिनट बैठने के बाद 5 मिनट का ब्रेक जरूर ले. वहीं बीच-बीच में अपना पॉश्चर बदलते रहे. ज्यादा देर तक झुक कर न रहे. इससे भी स्पाइन की समस्या होती है. उनका कहना है कि हाल के दिनों में स्टूडेंट्स बैठने की बजाय लेटकर पढ़ाई कर रहे है. इससे भी उन्हें स्पाइन की समस्या हो रही है.
वेट को रखें कंट्रोल में
डॉक्टर की मानें तो स्पाइन की समस्या से बचने के लिए अपने वेट को कंट्रोल में रखना भी जरूरी है. इसलिए कोशिश करें कि आपका वजन 55 से 65 के बीच रहे. हालांकि हाइट के हिसाब से इसमें भी बदलाव हो सकता है. उन्होंने कहा कि वेट के अलावा अपने लिए हर दिन 30 मिनट का समय जरूर निकाले. फिजिकल एक्टिविटी करें और डेली वर्कआउट 30 मिनट करें. इससे पूरी बॉडी की मूवमेंट होगी.
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