धनबाद: आईआईटी-आईएसएम में महिला एवं बाल विकास पर कार्यशाला हो रही है जिसका मकसद है की महिलाओं का बच्चों के विकास में जो योगदान है उसके बारे में चर्चा होनी चाहिए. जो संस्कार, जो परवरिश महिलाएं दे सकती हैं, अपने परिवार को ओर कोई नही दे सकता है. महिलाएं परिवार का आधार हैं. बच्चों और समाज को आगे बढ़ाने में को महिलाओं का बहुत अधिक महत्व है. वह अपने बच्चों को भी सही दिशा दिखाने के साथ सही मार्गदर्शन करेंगी तो हमारा समाज भी आगे बढ़ेगा. समाज में अच्छे संस्कार होंगे और समाज सुसंस्कृत होगा.

विभिन्न महिलाएं यहां बड़े उच्च पदों पद पर आसीन है. और किस तरह से हम सबको पहचान देंगी और बताएंगे कि किस तरह से हम सब मिलकर अपने बच्चों को सही दिशा दिखा सकते है क्योंकि आज हम देखते हैं समाज में बच्चे अगर मार्ग से भटक जाते हैं तो बच्चों का दोष नहीं है, दोष परिवार के सदस्यों का है और इसमें महिलाओं का विशेष योगदान रहता है. बच्चा बाहर से आता है, तो बाहर वह क्या करता है, घर के लोगों से अधिक बाहर वाले जानते हैं. तो अगर माता का सर्वप्रथम कर्तव्य है कि वह अपने बेटे से पूछे कि बाहर से तुम क्या करके आए हो, कहां थे. विशेष कर बेटों को अगर यह संस्कार दिया जाए कि हर महिला का सम्मान करना बहुत जरूरी है तो आज जो दुष्कर्म की घटनाएं होती है वह बहुत हद तक कम हो जाएंगे.

कौन सी दिशा सही है कौन सी गलत है इसकी जिम्मेदारी भी महिलाओं की होती है. बचपन एक मिट्टी का घड़ा है जो कच्ची मिट्टी का होता हैं. हम उसको रौंदकर सही दिशा दे सकते हैं. अगर वह जाकर टेढ़ा भी हो तो हम फिर सही कर सकते हैं. पर अगर बर्तन घड़ा बन जाए या जैसा भी बना कर आग में पक जाए तो फिर उसे अगर हम बदलना चाहेंगे तो वह टूट जाएगा. वह बदला नहीं जाएगा. इसलिए बचपन से ही बच्चों को सही दिशा दिखानी चाहिए. अगर वह कुछ गलतियां करते हैं जो बच्चों में स्वाभाविक है, उनको प्यार से उचित मार्गदर्शन करके उनको सही दिशा दी जाए तो वह बच्चे भविष्य में अच्छे नागरिक बनेंगे.

ये भी पढ़ें:जामताड़ा से लुगु बाबा के दर्शन करने आ रही श्रद्धालुओं से भरी मारुति दुर्घटनाग्रस्त, एक महिला घायल

Share.
Exit mobile version