राज योग लेकर आ रहा है आषाढ़ माह की पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन श्री महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। जिसके कारण इस दिन को व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वेदव्यास जी ने समस्त मानव जाति के कल्याण हेतु चारों वेदों से जुड़े ज्ञान को बताया था। महर्षि व्यास जी का सनातन संस्कृति में महान योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है।

गुरु पूर्णिमा का शुभ संयोग –
इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन रूचक, भद्र, हंस और शश नाम के चार महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं जिससे राजयोग राज योग का संयोग बन रहा है। बुध ग्रह के अनुकूल स्थिति में होने के वजह से बुधादित्य योग भी है। दैत्य गुरु शुक्राचार्य अपने मित्र ग्रह के साथ बैठे हैं जो की लाभदायक है।

शुभ मुहूर्त
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 12 जुलाई दिन मंगलवार को रात्रि 02 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 13 जुलाई बुधवार को रात्रि 02 बजकर 50 मिनट पर होगा। उदया तिथि होने के कारण आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा।

पूजा विधि –
पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले शुद्ध जल में या पवित्र गंगा नदी स्नान करना चाहिए। इसके बाद गुरु या भगवान विष्णु की तस्वीर के आगे दीप प्रज्जवलित कर व्रत का संकल्प लें। इस दिन गुरुजनों की पूजा करने का विधान है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
विष्णु जी और माता लक्ष्मी को फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप, जैन गंध, चंदन, रोली, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करते हुए पूजा करें। साथ ही पूर्णिमा पर श्री सत्यनारायण कथा जरुर पढ़ें। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
इस दिन गुरु मंत्र का जाप करने से जीवन में सफलता प्राप्त होगी।

आषाढ़ पूर्णिमा पर पूजा का महत्व –
आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर आप भगवान विष्णु की पूजा के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें।
पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख, वैभव आदि में वृद्धि होती है.
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेद के ज्ञाता वेदव्यास जी की पूजा करें। जिन्होंने सृष्टि को ज्ञान प्रदान करने के लिए पुराणों की रचना की।
आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा है। इस दिन आपको अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए। इससे आपकी उन्नति होगी। यदि कोई गुरु नहीं हैं, तो भगवान विष्णु की आराधना करें।
जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा का दोष है वे लोग आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करें और उनके बीज मंत्र का जाप करें। इसके अलावा चंद्र दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान करें।

प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
8210075897

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