Joharlive Team

चतरा। झारखंड में केसर की खेती, वो भी चतरा में…सुनकर थोड़ा आश्चर्य लगता है। अब तक केसर के लिए कश्मीर की वादियों को ही मुफीद माना जाता था। लेकिन चतरा में बड़े पैमाने पर केसर की खेती की जाने लगी है। खास बात ये है कि इसमें महिला किसान ज्यादा हैं।

चतरा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूर सिमरिया प्रखंड के चलकी और सेरंगदाग गांव में आत्मनिर्भरता की फसल लहलहा रही है। JSLPS (Jharkhand State Livelihoods Promotion Society ) संस्था की मदद से केसर की खेती हो रही है। जो कश्मीर की पहचान है। अब झारखंड की महिलाएं इससे जुड़ने लगीं हैं। चलकी और सेरंगदाग की महिलाएं केसर की खेती कर देशभर की महिलाओं के लिए मिसाल बन रही हैं। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी साकार करने में जुटी हैं।

चतरा में पहली बार महिलाओं ने केसर की खेती करना शुरू किया है। इस केसरिया सोने की खेती से 25 गुना मुनाफा होने की उम्मीद है। अप्रैल तक फसल तैयार होने की संभावना है। बाजार में गुणवत्ता के आधार पर केसर के 80 हजार से एक लाख रुपए प्रति किलो के भाव है। राजकुमारी देवी ने बताया कि गांव की महिलाओं के कहने पर समूह से जुड़ने के बाद 30 हजार रुपए का लोन लेकर केसर का बीज खरीद कर खेती कर रही हूं। यहां की महिलाओं ने एक एकड़ से अधिक जमीन पर केसर की खेती शुरू की है। अक्टूबर में केसर को लगाया गया था। 6-7 महीने में केसर तैयार हो जाता है। सरिता देवी ने कहा कि जेएसएलपीएस के समूह से जुड़कर केसर की खेती करने का प्रशिक्षण लिया। जिसके बाद कर्ज लेकर केसर की खेती शुरू की हूं।

जेएसएलपीएस के प्रखंड प्रबंधक राहुल रंजन पाण्डेय ने कहा कि संस्था की निगरानी में सखी मंडल की दीदियों को बैंकों से ऋण उपलब्ध करवाकर पूरी तरह से जैविक तरीके से केसर की खेती की जा रही है। अब तो केसर की फसल से खेत की क्यारियां भी महकने लगी हैं। इसके फूल को सुखाकर एकत्रित किया जाता है, जिसकी जांच सरकारी प्रयोगशाला में कराई जाती है। जांच में गुणवत्ता तय होने के बाद किसानों को प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके आधार पर ही किसान को 80 हजार से एक लाख रुपए तक का भुगतान खरीदार करते हैं। हालांकि केसर की खेती के लिए अभी तक कश्मीर के मौसम को मुफीद माना जाता है। पूरे देश में केसर की सप्लाई कश्मीर से ही होती है। मगर अब चतरा में भी बड़े पैमाने पर की जा रही केसर की खेती के जरिए कश्मीर को भी टक्कर देने की कोशिशें की जाने लगी है।

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