Joharlive Desk
नई दिल्ली। देश के महानगरों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की शुरुआत की है। मजदूर अब अपने घर लौटने लगे हैं, जिससे उद्योग जगत के लिए अब समस्या खड़ी हो सकती है। उद्योग जगत का कहना है कि यदि मजदूर गांव लौट गए तो फिर वे फैक्ट्री कैसे चला पाएंगे।
स्थिति को गंभीरता को समझते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मजदूरों से अपील की है कि फिलहाल वे जहां हैं, वहीं रहें। हालात धीरे धीरे बेहतर होंगे और उनकी सुविधा का ध्यान सरकार के साथ उद्योग जगत भी रखेंगे। कर्नाटक, तेलंगाना और हरियाणा की सरकारें भी मजदूरों को रोकने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान से बात की। सीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार मजदूरों की सभी जरूरतों का ध्यान रखेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के चलते लगे प्रतिबंधों के खत्म हो जाने के बाद आर्थिक गतिविधियां शुरू होंगी, तो मजदूरों को फिर काम मिलना शुरू हो जाएगा। तब तक सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि कोई भी मजदूर भूखा नहीं रहे।
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में आईटी से जुड़ी जुड़ी सेवाओं के अलावा करीब आठ लाख प्रवासी मजदूर रहते हैं। ठेकेदारों, बिल्डरों, ट्रेड यूनियन और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत मजदूर अपने गांवों को लौट जाएंगे। जिसका असर शहर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
तेलंगाना सरकार ने अपने जिला अधिकारियों से कहा है कि वे मजदूरों की पहचान करके उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश करें कि जल्द ही काम शुरू होने वाला है। राज्य के मुख्य सचिव सोमेश कुमार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू होने वाले हैं। इसलिए अधिकांश श्रमिकों ने रुकने का फैसला किया है।
हरियाणा की सरकार भी आने वाले संकट को समझ गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उद्योग शुरू हो गए हैं, जो नहीं खुले हैं वो भी कल से शुरू हो जाएंगे, इसलिए मैं प्रवासी श्रमिकों से अनुरोध करता हूं कि आप अभी अपने घर न जाएं, आपको यहां कोई परेशानी नहीं आएगी। हम हर संभव मदद करेंगे।