दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है । इस बार दीपावली चार नवंबर दिन गुरुवार को है। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को सागर मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रात्रि में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। माता लक्ष्मी जे साथ श्री गणेश एवं कुबेर की षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। दीपावली लक्ष्मी पूजन के समय आयुष्मान योग एवं स्वाति नक्षत्र का योग भी शुभ कारक है।
दीपावली की रात्रि को कालरात्रि ,सिद्धिरात्रि,ओर महानिशा रात्रि भी कहते है। इस पुण्यमय रात्रि में की गई साधना सिध्दिदायक होती है। कालरात्री में तीनों शक्ति की उपासना करने से धन ,धान्य , सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस कालरात्रि को जहाँ शत्रु विनाशिनी माना गया है वहाँ सुख ,सौभाग्य ,ऐश्वर्य देने वाली भी कहा गया है ।
दीपावली की रात कालरात्रि है। परंतु पूरी रात कालरात्रि नही है रात्रि का प्रथम भाग अर्थात अर्द्धरात्रि तक पूजन ,ध्यान ,साधना की जाती है इस समय माता लक्ष्मी ,भगवती सरस्वती, भगवान गणेश जी ,ओर कुबेर जी की पूजा अर्चना करते है। इसलिए इस रात्रि को सिद्धिरात्रि कहते हैं अर्द्धरात्रि के बाद से लेकर सूर्योदय 2 घड़ी पूर्व तक ( रात्रि 12 बजे से प्रातः 5 बजे तक) महानिशा कहा जाता है । प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस पुण्यकाल रात्रि में भगवती लक्ष्मी , सरस्वती, भगवान गणेश जी की आराधना करने से माता लक्ष्मी आपको अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति देती है उससे आप अपने परिवार ,समाज ,ओर राष्ट्र , का हित कर सके
माता सरस्वती आपको विद्या ,बुद्धि वाणी की प्राप्ति देती है जिससे आप अपनी विद्या, बुद्धि , वाणी के प्रभाव से अपना ओर अपने परिवार के साथ विश्व का कल्याण कर सके ।
भगवान गणेश जी आपको विद्या ,बुद्धि ,ऋद्धि सिद्धि प्रदान करते हैं। भगवान गणेश जी कृपा से मान ,सम्मान , पद प्रतिष्ठा प्राप्त करके राष्ट्र का गौरव बढ़ा सकें ।
भगवान कुबेर के रूप में धन संग्रह करके सुख सौभाग्य की प्राप्ति हो । इस रात्रि को शत्रु विनाशिनी भी कहते हैं अपने मुख्य शत्रु अंहकार ,ईर्ष्या, द्वेष , घ्रणा जैसे शत्रु का विनाश कर सके ।
इस महानिशा रात्रि में तांत्रिक भी साधना करते हैं। ये साधना रजोगुणी व तमोगुणी के लिए मानी गई महानिशा में तन्त्र ,यन्त्र, मन्त्र की साधना सिध्दिदायक होती है। दीपावली के दिन की रात्रि में आकर्षण ,वशीकरण, उच्चाटन के प्रयोग की दृष्टि से ये रात्रि सिद्धिफल देने वाली है । श्मशान साधना और शव साधना के लिए भी ये कालरात्रि का अत्यंत महत्व है। इस सिध्दिदायक रात्रि में साधक अपनी साधना करके महान सिद्धियों को प्राप्त करते हैं । ये महारात्रि वर्ष में केवल एकबार आती है इस रात्रि में महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलता है।
दीपावली का पूजन स्थिर लग्न में करनी चाहिए स्थिर लग्न बृषभ ,सिंह , वृश्च्कि ,कुंभ है। इसका कारण यह है कि लक्ष्मी जी को चंचल माना गया है।
दीपावली के दिन स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से तो लक्ष्मी स्थिर रहेगी। दीपावली पूजा शुभ मुहूर्त : शुभ चौघड़िया : प्रातः काल 06: से 07:58 तक। शुभ चल, लाभ,अमृत (प्रातः काल) प्रातः 10:42 से 02:50 तक
प्रदोष काल : संध्या 05:33 से 08:11 तक
बृषभ काल : संध्या 06 :08 से 08:02 तक
शुभ, अमृत, चल (संध्या काल) 04 :12 से 08 :50 तक
महानिसिथ काल मुहूर्त : रात्रि 11 :39 से 12: 31 तक
सिंह लग्न मुहूर्त : रात्रि 12 :34 से 02: 47 तक
लाभ मुहूर्त : रात्रि 12:05 से 01: 40 तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ : 4 नवंबर प्रातः 06 :30 शुरू होकर 5 नवंबर 2021 को प्रातः 02:44 तक समाप्त।
दीपावली के दिन कुछ उपाय :-
1) दीपावली के दिन श्री सूक्त का पाठ करें और खीर की आहुति दे जिससे घर में सुख शांति ,सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
2 ) माता लक्ष्मी का पूजन करके ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मीयै नमः इस मंत्र से 11 माला करके इन वस्तुओं को अभिमन्त्रित कर ले ( 11 कौड़ियों व 7 गोमती चक्र 5 लाल कमल , 9 कमलगट्टे , 7 हल्दी ) लाल कपड़े में पोटली बना कर तिजोरी में रख दे धन संग्रह में सहायक होती हैं।
3) दीपावली के दिन एक सुपारी ,एक ताँबे का सिक्का ,7 गोमती चक्र ,पीपल के पेड़ के नीचे रख आएं और दूसरे दिन पीपल के पेड़ के नीचे से सभी बस्तु ओर पीपल का पत्ता लाकर गोमती चक्र ,सिक्का ,सुपाड़ी ये सभी लाल कपड़े में बांध कर तिजोरी में रख दे और पीपल का पत्ता गद्दी के नीचे रख ले ।
4) महालक्ष्मी जी स्तोत्र का पाठ 11 बार करें और साथ में भगवतगीता के 11 अध्याय का एकबार पाठ करने से लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त होती है।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा राँची
8210075897
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