रांची: झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. चौथे दिन 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक सदन से पास हो गया. भोजनावकाश के बाद सदन में सीएम हेमंत सोरेन ने बिना संशोधन के बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा. इसके बाद 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक बिना संशोधन के पारित हो गया. इसके बाद सदन में झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक भी पेश किया गया.
राज्यपाल ने झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक को भी वापस किया था. इस बिल को आज फिर से सदन में पेश किया गया. जिसे सरकार ने बिना संशोधन के सदन में पेश किया. इसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. कार्यवाही के दौरान झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने का विधेयक 2022 को संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने राज्यपाल के संदेश के अनुसरण में विचार के लिए सदन में पेश किया.
बाबूलाल को नहीं मिला बोलने का मौका
1932 खतियान को लेकर सदन में चर्चा शुरू हुई. सीएम हेमन्त सोरेन ने संबंधित विधेयक को बिना किसी संशोधन के पेश किया. भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, नीलकंठ सिंह मुंडा, समरीलाल, झामुमो के सुदिव्य सोनू आदि ने भी चर्चा में भाग लिया. खुद बाबूलाल मरांडी ने कई बार चर्चा में शामिल होने के लिए सांकेतिक तौर पर आग्रह किया. अंततः वे सदन से बिना कुछ कहे ही बाहर निकल गये. इससे पूर्व सदन में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी को जब बोलने को स्पीकर ने कहा तो बाउरी ने इस मुद्दे पर बाबूलाल मरांडी से बुलवाने को कहा. बाउरी के बार-बार अनुरोध पर स्पीकर ने कहा कि वे उनको (बाबूलाल मरांडी को) भी समय देंगे. इस आश्वासन पर अमर कुमार बाउरी ने अपनी बात रखनी शुरु कर दी. इसके बाद नीलकंठ सिंह मुंडा को बोलने दे दिया गया. बाबूलाल मरांडी इशारा कर बोलने देने का अनुरोध करते रहे पर स्पीकर ने उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया. इसी बीच विधानसभाध्यक्ष ने समरीलाल, नीलकंठ सिंह मुंडा और सुदिव्य सोनू को चर्चा में शामिल होने और बोलने का मौका भी दे दिया. इस तरह कई को मौके मिले पर बाबूलाल मरांडी का नाम एक बार भी स्पीकर ने नहीं पुकारा. थोड़ी देर बाद प्रदीप यादव ने कहा कि जब सदन में पूर्व में यह विधेयक पारित किया जा चुका है तो इस पर चर्चा ही क्यों. उनके इस बयान पर स्पीकर ने 1932 के मामले का पटाक्षेप कर दिया.
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