New Delhi : आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं को कुछ राहत मिलने की संभावना है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार टैक्स में मामूली राहत देने पर विचार कर रही है. हालांकि, इसका राजस्व संग्रह पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा. रिपोर्ट का कहना है कि यह कदम टैक्स कलेक्शन में स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है. ICRA का मानना है कि सरकार करदाताओं को राहत देते हुए भी वित्तीय अनुशासन बनाए रखने पर जोर देगी.
इनकम टैक्स में राहत: रिपोर्ट के अनुसार, बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए छोटे स्तर पर राहत की संभावना है. लेकिन यह राहत ऐसी नहीं होगी जिससे सरकार के रेवेन्यू कलेक्शन पर कोई बड़ा असर पड़े. वित्तीय वर्ष 2025-26 में डायरेक्ट टैक्स (इनकम और कॉरपोरेट टैक्स) में 12 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. वहीं, अप्रत्यक्ष करों (Indirect Taxes) में 9 प्रतिशत और जीएसटी संग्रह में 10.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है. वहीं वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) 2025 में Rs 15.4 ट्रिलियन था, जो 2026 में बढ़कर Rs 16 ट्रिलियन हो सकता है. लेकिन GDP के प्रतिशत के रूप में यह 4.8% से घटकर 4.5% हो जाएगा.
ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक, आगामी बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय) को प्रमुखता दी जाएगी. FY2025 में अनुमानित खर्च Rs 9.7 ट्रिलियन था, जो FY2026 में बढ़कर Rs 11 ट्रिलियन हो सकता है. इसका मुख्य उद्देश्य निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन करना, स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना, FY2025 में धीमी शहरी खपत और निवेश गतिविधियों में सुधार लाना है.
वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का डिविडेंड भी राजकोषीय घाटे को कम करने और पूंजीगत व्यय को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है. जीएसटी संग्रह में 10.5% वृद्धि की संभावना है. कस्टम ड्यूटी में केवल 5% की मामूली बढ़ोतरी का अनुमान है, जो अमेरिकी टैरिफ नीति में बदलाव के कारण प्रभावित हो सकता है.
बजट 2025-26 के संभावित मुख्य फोकस
- आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना.
- लंबी अवधि के लिए सार्वजनिक वित्त की स्थिरता सुनिश्चित करना.
- फिस्कल डेफिसिट को कम करने के लिए वित्तीय अनुशासन.
- रोजगार और निर्माण क्षेत्र में वृद्धि.
बजट 2025-26 से व्यक्तिगत आयकरदाताओं को राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह राहत सीमित दायरे में होगी. सरकार वित्तीय स्थिरता और राजस्व संग्रह को ध्यान में रखते हुए, आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने की योजना बना रही है.
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