रांची: रेबीज के कारण जीरो डेथ के लक्ष्य और रेबीज वायरस को फैलने से रोकने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें 2030 तक रेबीज को पूरी तरह से खत्म करने को लेकर चर्चा हुई. यह कार्यशाला टियर 2 शहरों रांची, जमशेदपुर, बोकारो और धनबाद के लिए मिशन रेबीज फ्री सिटी के तहत हुई. भारत सरकार द्वारा यह कार्यशाला अनिवार्य रूप से आयोजित कराने का निर्देश दिया गया है, जिससे कि झारखंड को रेबीज फ्री बनाया जा सके. विश्व रेबीज दिवस की पूर्व संध्या पर आईपीएच कॉन्फ्रेंस हॉल नामकुम रांची में हुए इस कार्यशाला में शहरी स्थानीय निकाय, पशुपालन निदेशालय, आईएएचपी कांके, रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो के जिला नोडल अधिकारी ने भाग लिया.
निदेशालय से संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग से डॉ. रजनी किस्कू, डॉ. सनत कुमार पंडित निदेशक आईएएचपी कांके, बीएयू रांची, डॉ. शैलेन्द्र सिंह पशुपालन से रेबीज नोडल अधिकारी, डीआर किरण कुमारी स्वास्थ्य अधिकारी आरएमसी रांची, सार्वजनिक स्वास्थ्य सिटी मैनेजर, जिला नोडल अधिकारी एनआरसीपी रांची से जमशेदपुर धनबाद और बोकारो ने भाग लिया. PATH के प्रतिनिधि डॉ. मयंक, डॉ. नवनीत गौतम भी कार्यशाला में मौजूद थे. सभी चार जिलों में कुत्तों के बर्थ कंट्रोल के लिए पाथ एजेंसी के लोग काम करेंगे. जिससे कि लोगों को भी जागरूक किया जा सके.
डॉ. मनोज कुमार एचओडी माइक्रोबायोलॉजी विभाग रिम्स, डॉ. देवेश कुमार सहायक प्रोफेसर पीएसएम रिम्स, डॉ. स्मृति नारायण सीनियर रेजिडेंट पीएसएम विभाग, डॉ शैलेन्द्र आईएएचपी कांके, डॉ प्रवीण कर्ण, एसई, डॉ लाल माझी, नोडल अधिकारी मातृ स्वास्थ्य
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