Joharlive Desk
ग्रेटर नोएडा/नई दिल्ली : भारत में भूमि की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी संस्कृरति में धरती को मां माना गया है। भारत के लोग प्रात:काल धरती पर पैर रखने से पहले ‘समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यम्, पाद स्पर्श क्षमस्वमे’ की प्रार्थना करते हैं। भारत पर्यावरण संरक्षण के मसले पर काफी गंभीर है और लगातार इस दिशा में अपनी कोशिशों में लगा भी है। इस बीच एक संकल्प के तहत भारत 2030 तक 21 मिलियन हेक्टेयर से लेकर 26 मिलियन हेक्टयर की बंजर भूमि को उपजाऊ करेगा।
यह बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में चल रहे 12 दिवसीय कॉप-14 कॉन्फ्रेंस की बैठक को संबोधित करते हुए कहीं। इस कार्यक्रम में दुनिया के 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें धरती पर जलवायु परिवर्तन, नष्ट होती जैव विविधता, मरुस्थलीकरण जैसे बढ़ते खतरों से निपटने को लेकर मंथन चल रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ग्लोबल वॉटर एजेंडा पर जोर देते हुए कहा कि आज दुनिया में पानी की समस्या काफी बढ़ी है। ऐसे में पानी बचाने की दिशा में विश्वस्तर पर एक सेमिनार बुलाने की जरूरत है, जहां इस समस्या का हल निकाला जा सके। भारत ने पानी बचाने, पानी का सही इस्तेमाल करने की ओर अपना कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि भारत ने ग्रीन कवर (पेड़ों की संख्या) को बढ़ावा दिया है। इसी का परिणाम है कि भारत में वन क्षेत्र दशमलव आठ मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में लोग जलवायु परिवर्तन के मसले पर नकारात्मक सोच के साथ जी रहे हैं। इसी वजह से समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है, बारिश-बाढ़ और तूफान का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। ऐसे में उन्हें सकारात्मक दिशा में एकजुट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस मसले पर तीन बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया है, इससे हमारी कोशिशों के बारे में दुनिया को पता लगता है। भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण के मसले पर दुनिया में कई कदम उठाने को तैयार है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की आय दोगुना करने की ओर बढ़ रही है, इसमें अलग-अलग तरीके से खेती सिखाई जा रही है। पानी की समस्या को लेकर हमने अलग मंत्रालय बनाया है ताकि सभी का हल किया जा सके। आने वाले दिनों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की योजना है। हमने ही जैविक खाद को बढ़ावा दिया है। हम ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ की नीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने ऐलाना किया कि भारत आने वाले समय में बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की ओर कदम बढ़ाएगा। भारत 21 मिलियन हेक्टेयर से लेकर २६ मिलियन हेक्टयर की बंजर भूमि को 2030 तक उपजाऊ करेगा। इस दौरान सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के प्रधानमंत्री राल्फ गोंसाल्वेस ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण संरक्षण को लेकर भाजपा जैसे सशक्त देश का साथ मिलने से हमारी कोशिशों को बल मिला है।
इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने बढ़ती ग्लोबल वर्मिंग और प्रदूषण से निपटने के लिए ई-वाहनों को बढ़ावा दिया है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है और लोगों को भी जागरूक करने में लगी है। वहीं बाघों की संख्या का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि दुनिया के 77 फीसदी बाघ केवल भारत में हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारी सरकार ने जल संरक्षण के लिए अलग से मंत्रालय का भी गठन किया है।
उल्लेखनीय है कि जन दुनिया को बढ़ते मरुस्थलीकरण से बचाने की मुहिम (संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन) के तहत अयोजित होने वाला यह 14वां सम्मेलन है। इस बार भारत इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन में अभी तक दुनिया भर के वैज्ञानिक अपने-अपने देश की समस्याएं और उससे निपटने को लेकर उठाए गए कदम को साझा कर चुके हैं।