जमशेदपुर : चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव को लेकर संकेत दे दिए है. मार्च में आचार संहिता और अप्रैल तक चुनाव कराने को लेकर तैयारियां तेज हो गई है. इस बीच चुनाव आयोग ने राज्य निर्वाचन आयोग को वैसे पदाधिकारियों का स्थानांतरण करने का निर्देश दिया था जो 3 साल से एक ही जिले में जमे है. वहीं इस संदर्भ में जारी पत्र के आधार पर एक माह पहले ही विभिन्न विभागों और जिलों से सूची मांगी गई थी. इसके बाद मनचाहा पोस्टिंग कराने की होड़ लग गई. आज हालात ये है कि एक ही प्रमंडल में बार-बार पदाधिकारियों की पोस्टिंग की गई. अब ये पोस्टिंग चर्चा का विषय बना हुआ है.

गले ही हड्डी न बन जाए मनचाहा पोस्टिंग

मनचाही पोस्टिंग के लिए सभी अधिकारियों की दौड़ लगी थी. लेकिन कुछ अधिकारियों के लिए अति महत्वाकांक्षी गले की हड्डी साबित होने वाला है. आखिर हो भी क्यों न चुनाव आयोग ने बीते दिनों हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सवाल उठाया हैं. वहीं इसे लेकर गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं नियम के अनुसार कार्रवाई करते हुए सूचित करने को कहा है. इस पूरे प्रकरण में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई भी कर सकती है. राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने सभी विभागों के सचिव, अपर सचिव और प्रधान सचिव को लिखे पत्र में स्थानांतरण नीति के अनुसार हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग पर स्पष्टीकरण मांगा है. जिसका जवाब आज 26 फरवरी 2024 के अपराह्न 3 बजे तक आयोग को भेजना है. बताते चलें कि कुछ अधिकारियों का एक ही संसदीय क्षेत्र और निकटवर्ती जिला में पदस्थापन चर्चा का विषय बना और अब खुलकर सेटिंग-गेटिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है.

कई उदाहरण मनचाहा पोस्टिंग के

ट्रांसफर-पोस्टिंग के ऐसे ही कई उदाहरण हैं. एक जिले में 3 साल पूरा करने वाले पदाधिकारी अपने निकटवर्ती जिले में ही चले गए है. पुलिस विभाग में ही कुछ अधिकारियों को ले लें तो ये अपने कार्यकाल का लंबा समय एक ही प्रमंडल में पदस्थापना करवाकर घूमते नजर आते रहें हैं. इनमें 1994 बैच के कुछ डीएसपी और दारोगा चर्चित रहे हैं. 1994 बैच के राजू,अंजनी कुमार,अनिमेष गुप्ता, सुधीर कुमार,राजेश सिंह,शंभू गुप्ता,मनोज ठाकुर‌ जैसे कई और भी नाम हैं जो कभी जमशेदपुर,कभी सरायकेला-खरसावां और कभी पश्चिमी सिंहभूम के थानों में ही पोस्टिंग पर रहे. अधिकांश दारोगा ऐसे भी हैं जिन्होंने इन जिलों को को चुना और कुछ ने तो अपने पदस्थापना के दौरान अपना आशियाना भी बसा लिया. कुछ ऐसे भी हैं जो रिटायर होकर जमशेदपुर और आदित्यपुर में ही स्थायी रूप से बस गए.

घर के पास करा ली पोस्टिंग

सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर थाना प्रभारी रहे राजन कुमार और आलोक दूबे कुछ दिन पहले ही सरायकेला-खरसावां से जमशेदपुर आ गये हैं. राजन कुमार को आदित्यपुर से जमशेदपुर आते ही जुगसलाई ट्रैफिक प्रभारी बनाया गया हैं. जुगसलाई से आदित्यपुर थाने की दूरी मात्र एक-डेढ़ किलोमीटर होगी. वैसे ही आदित्यपुर और गम्हरिया में थाना प्रभारी रहे 2012 बैच के इंस्पेक्टर आलोक दूबे को जमशेदपुर आने पर बर्मामाइंस थाना मिला. बस इसी तरह 2012 बैच के इंस्पेक्टर कुणाल कुमार की पोस्टिंग भी जमशेदपुर से पड़ोसी जिला सरायकेला में हुई तो वैसे ही सरायकेला-खरसंवा में कल ही कपाली थाना प्रभारी बने सोनू कुमार भी कुछ ही दिनों पहले तक जमशेदपुर के उलीडीह थाना प्रभारी रह चुके हैं.
बस इसी तरह सरायकेला-खरसंवा के आदित्यपुर में रहे अभिषेक कुमार अब जमशेदपुर के जादूगोड़ा,अखिलेश कुमार आदित्यपुर से जमशेदपुर के श्यामसुंदरपुर,सरायकेला के खरसावां और कपाली में रहे प्रकाश रजक अब जमशेदपुर के गोविंदपुर थाना और राजनगर थाना में रहे चंदन कुमार अब जमशेदपुर के बड़सोल थाना पदस्थापित हो गये.

मनचाहे जिलों में स्थानांतरण

अब जमशेदपुर के ही कदमा,एमजीएम,बर्मामाइंस और रेल टाटानगर थाना प्रभारी रहे राजू का भी ज्यादातर समय कोल्हान में ही बीता है और अब ये जमशेदपुर से पदस्थापित होकर पड़ोसी जिले सरायकेला-खरसावां में गम्हरिया थाना प्रभारी बने हैं. 1994 बैच के अंजनी कुमार का तबादला जमशेदपुर से पश्चिम सिंहभूम हुआ था और अब ये अचानक पश्चिमी सिंहभूम छोड़ सरायकेला-खरसावां आ पहुंचे. जमशेदपुर में ही साकची, बागबेड़ा,मानगो यातायात प्रभारी रहे राजेश सिंह भी जमशेदपुर से 9 माह पहले ही सरायकेला-खरसावां आ गये और वर्तमान में आदित्यपुर यातायात प्रभारी हैं. सरायकेला-खरसावां के कांड्रा में रहे 1994 बैच के शैलेंद्र अब जमशेदपुर में टेल्को थाना प्रभारी हैं. इनका भी अधिकांश समय जमशेदपुर से सरायकेला-खरसावां के बीच रहा. 1994 के ही इंस्पेक्टर से डीएसपी बने अनिमेष गुप्ता का भी अपने कार्यकाल का लंबा समय सरायकेला-खरसावां,पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम रहा है. भले ही अनिमेष कुछ समय सीआईडी में रहे लेकिन डीएसपी बनते ही उन्हें सीसीआर जमशेदपुर मिल गया और सीसीआर डीएसपी रहते सिटी, हेडक्वार्टर -2, ट्रैफिक और लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी जैसे प्रभार में भी रहे, कारण इन पदों पर डीएसपी की पोस्टिंग महीनों तक खाली रही.

इसी तरह 1994 बैच के इंस्पेक्टर से डीएसपी बने सुधीर कुमार कुछ ही दिनों पहले चाईबासा मुख्यालय डीएसपी से सिटी डीएसपी जमशेदपुर में पदस्थापित हुएं हैं. इनका भी इंस्पेक्टर से डीएसपी तक का कार्यकाल लंबे समय से कोल्हान रहा है. 1994 बैच के गढ़वा में ढाई सालों से पदस्थापित डीएसपी अवध यादव पड़ोसी जिले पलामू में छपरपुर डीएसपी में कुछ ही दिनों पहले पदस्थापित हुए हैं जिनका पदस्थापना एक ही संसदीय क्षेत्र में होने के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है.

इसी तरह सरायकेला एसडीपीओ के पद पर आसीन होने वाले डीएसपी दिलीप खलको भी एक ही संसदीय क्षेत्र चाईबासा लोकसभा अंतर्गत चाईबासा से सरायकेला पदस्थापित होकर स्थानांतरण नीति के नियमों के अनुकूल नहीं हैं. ऐसे अफसरों में धनबाद के विभिन्न मलाईदार थानों में रहे रणधीर कुमार भी काफी चर्चित रहे हैं, जिनका रांची में पत्नी के नाम करोड़ों का बंगला है. रांची के लोग कहते हैं कि धोनी के बाद यही बंगला सबसे महंगा और सुंदर है जहां स्विमिंग पुल, लग्जरी गाड़ियां और एक बड़ा वाटर फिल्टर भी लगा है. बस कुछ इसी तरह संताल परगना प्रमंडल में भी कुछ पुलिसकर्मियों का गोड्डा से दुमका और‌ दुमका से गोड्डा पदस्थापन‌ हुआ है. इस आदेश के बाद स्थानांतरित उन पदाधिकारियों को अब चुनाव आयोग का भय सता रहा है.

इसे भी पढ़ें: कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा बीजेपी में शामिल

Share.
Exit mobile version