रांची : शारदीय नवरात्र में मां भवानी के नौ रूपों की आराधना की जाती हैं. हर जगह परंपरागत रूप से तो कहीं किसी खास तरीके से मां की आराधना की जाती हैं. इसी तरह की खास पूजा जैप-1 में देखने को मिलती हैं. नेपाली परंपरा से होनेवाली पूजा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. बता दें कि यहां पर कलश की पूजा की जाती हैं.
इधर, जैप-1 के कमांडेंट वाई एस रमेश ने कहा कि बहरहाल रांची में होनेवाली इस पूजा का इंतजार पूरी रांची को होती है. पूजा में शामिल होने हर कोई एक बार जरूर जैप आता हैं.
महिलाओं के लिए क्यों खास है जैप-1 की पूजा
मां दुर्गा शक्ति की देवी हैं, इसी श्रद्धा के साथ जैप-1 में नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं. यहां की पूजा खास इसलिए भी होती है, क्योंकि शक्ति की देवी से महिलाएं जवानों की सलामती की प्रार्थना करती हैं. वर्ष 1880 से चली आ रही ये परम्परा आज भी उसी रूप मे विधमान हैं.
दुर्गा पूजा के पहले दिन जवानों के परिजन के द्वारा कलश स्थापना की गयी. इस दौरान पूरे विधि विधान से कलश की पूजा की गई और सभी की मां रक्षा करे इसकी कामना की गई.
1880 की दशक में गोरखा बिग्रेड ने शुरू की पूजा
जैप-1 में नवरात्र की पूजा धूमधाम से मनायी जाती हैं. वर्ष 1880 के दशक में तत्कालीन गोरखा ब्रिगेड द्वारा यह पूजा शुरू की गई. 1911 में बिहार के अस्तित्व में आने पर यह बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) कहलाने लगा. झारखंड की स्थापना के बाद बीएमपी का नाम बदलकर झारखंड आर्म्ड फोर्स (JAP) हो गया. इसके बावजूद इस पूजा का क्रम नेपाली रीती रिवाज के साथ आज भी जारी है.
महासप्तमी को होती है पर्यावरण की पूजा
जैप की पूजा के दौरान महासप्तमी को पर्यावरण की पूजा की जाती हैं. जिसे फूल पाती शोभा यात्रा कहा जाता हैं. इस यात्रा में 9 पेड़ो की पूजा की जाती है और पर्यावरण सुरक्षित रहे इसकी प्रार्थना की जाती हैं. इस दरम्यान बंदूकों की सलामी भी दी जाती हैं. वहीं इसके साथ महानवमी को सशस्त्र पूजा और बलि प्रति का भी आयोजन किया जाता हैं.
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