Joharlive Team
दुमका: झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू, राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी और जामा की विधायक सीता सोरेन। जामा से सीता सोरेन पिछले तीन चुनावों में जीतकर विधायक बन चुकीं हैं। 2005 को छोड़कर वर्ष 1980 से इस क्षेत्र से लगातार झामुमो के प्रत्याशी विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सिंचाई और सड़क की सुविधा तो दूर इस क्षेत्र के लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नसीब नहीं है। यहां के अधिकांश गांवों के लोग जोरिया, तालाब और गड्ढे में जमा बरसात का पानी पीने को मजबूर हैं।
- चापानल ठीक कराना भी किसी चुनौती से कम नहीं
झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके परिवार की कर्मभूमि दुमका जिले के जामा विधानसभा क्षेत्र के रामगढ़ प्रखंड के कई गावों में पेयजल की घोर किल्लत है। वह भी गांव का चापानल अगर खराब हो जाय और महीनों तक ठीक नहीं हो सके तो लोगों की परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्रामीणों के बार-बार आग्रह के बाद भी खराब चापानल दुरस्त कराने के मामले में प्रशासन और संबंधित विभाग के अधिकारियों के उदासीन रवैये पर कभी कोई कार्रवाई भी नहीं होती है। हालांकि मंत्री या विधायक के कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारी बड़े-बड़े वादे और दावे करते हैं। लोगों को भरोसा देते हैं कि अपनी समस्याओं के निदान के लिए प्रखंड और जिला मुख्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। मगर ऐसा होता नहीं है। एक खराब चापानल को ठीक कराने के लिए गांव के लोग पिछले करीब 6 माह से अधिकारियों के पास सुबह-शाम दौड़ लगा रहे हैं।
- भंडारो के लोग जोरिया का पानी पीने को मजबूर
मामला दुमका जिले के रामगढ़ प्रखंड के अमरपुर पंचायत अंतर्गत भंडारो गांव का है जहां पिछले करीब 6 माह से चापानल खराब पड़ा है। इस कारण ग्रामीण पेयजल की समस्या से जुझ रहे हैं और गांव से दूर जोरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। कई माह बीत चुके हैं पर अब तक कोई मसीहा उनका दुःख बांटने आगे नहीं आया है। पानी की घोर किल्लत से हर दिन जूझ रही गांव की संजू देवी, कलावती देवी, पारो देवी, गीता देवी, सुदर्शन ठाकुर सहित दर्जनों ग्रामीण अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वे पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों को गांव का चापाकल खराब होने के संबंध में कई बार अवगत करा चुके हैं, परंतु 6 माहीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी खराब चापानल को ठीक नहीं किया जा सका है। इस कारण गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। गांव के लोग कहते हैं लोगों का जब कंठ सूखने लगता है तो जोरिया याद आती है। जोरिया का गंदे पानी पीने से बच्चों के साथ पशु भी बीमार होते हैं।
- अधिकारियों का उदासीन रवैया परेशान करने वाला
इस संबंध में पूछने पर पंचायत सचिव ने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी का आदेश मिलते ही खराब चापानल का मरम्मत कराया जाएगा। इस दिशा में पहल जारी है। गर्मी के मौसम में पेयजल की किल्लत की आशंका से गांव के लोग भयभीत हो रहे हैं। बहरहाल, देखना है झारखंड के सिरमौर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार की कर्मभूमि जामा विधानसभा क्षेत्र के भंडारो गांव के लोगों को जोरिया प्रथा से कब मुक्ति मिलती है।