Joharlive Desk
नई दिल्ली। कोरोना के खात्मे को लेकर किसी कारगर इलाज की आस में उम्मीद लगाए लोगों को गहरा झटका लगा है। कल तक इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए जिस दवा को जीवनरक्षक समझा जा रहा था, उससे भी उम्मीद खत्म हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने घोषणा की है कि अब कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल नहीं होगा। बता दें कि दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस रोकथाम के लिए मलेरिया की इस दवा के ट्रायल हो रहे थे। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन वही दवा है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस से बचाव का सबसे कारगर दवा माना था।
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान जारी कर कहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया से बचाव के लिए सबसे प्रभावी दवा है, लेकिन ये दवा कोरोना वायरस से बचाव के लिए कारगर नहीं है। सुरक्षा कारणों को देखते हुए दुनिया के विभिन्न देशों में चल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायलों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।
हाल ही में बिर्टेन की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका ‘लैंसेट’ में वैज्ञानिकों का एक शोध छपा है, जिसमें वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के प्रभाव को परखा। जांच में सामने आया है कि इस दवा से जिनका भी इलाज किया गया, उनमे से ज्यादातर की मौत हो गई है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को सबसे बेहतर जीवनरक्षक के रूप में देखते आए हैं। उन्होने कई बार अमेरिकी डाक्टरों को कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की सलाह दी थी। यही नहीं, इसकी आपूर्ति को लेकर भारत पर काफी दबाव भी बनाया गया था, लेकिन फिलहाल दुनियाभर चल रहे ट्रायल पर रोक लगाने के साथ ही कोविड-19 के कारगर इलाज ढूंढने के दावों को गहरा झटका लगा है।