Joharlive Desk
जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार हवा के जरिये कोरोना वायरस के फैलने की आशंका को स्वीकार करते हुए कहा है कि वह जल्द ही संशोधित वैज्ञानिक सार जारी करेगा।
डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ बेनेडेटा एलेग्रांजी ने मंगलवार को नियमित प्रेसवार्ता में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर के बारे में पूछे जाने पर कहा “हम स्वीकार करते हैं कि कोरोना वायरस और महामारी से जुड़े अन्य क्षेत्रों की तरह इस संबंध में भी नये साक्ष्य सामने आ रहे हैं। हमारा मत है कि हमें इस साक्ष्य पर खुले दिमाग से विचार कर वायरस के संक्रमण के तौर-तरीकों के संदर्भ में उसके प्रभाव और इस लिहाज से जरूरी सावधानियों को समझना चाहिए।”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने 239 वैज्ञानिकों को उद्धृत करते हुये एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 का वायरस हवा से फैल रहा है। सबसे पहले अप्रैल में इस तरह की रिपोर्ट सामने आयी थी, लेकिन डब्ल्यूएचओ अब तक इस सिद्धांत को स्वीकार करने से कतराता रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोविड-19 की विशेषज्ञ डॉ. मरिया वैन केरखोव ने कहा “हम हवा के रास्ते और मुँह तथा नाक से निकलने वाले बेहद सूक्ष्म जलकणों से वायरस के फैलने की संभावना की बात करते रहे हैं। हम मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर एक वैज्ञानिक सार तैयार कर रहे हैं। हम कई सप्ताह से इस पर काम कर रहे हैं।”
इस बीच वायरस के मूल का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों का एक दल इस सप्ताहांत चीन जा रहा है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कहा “सभी तैयारियाँ हो चुकी हैं। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ इस सप्ताहांत पर चीन जायेंगे जहाँ चीनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर वे वायरस के मानवेत्तर स्रोत की पहचान के लिए वैज्ञानिक योजना तैयार करेंगे।”
उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों का यह दल विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय मिशन के लिए कार्यक्षेत्र की पहचान करेगा। मिशन का उद्देश्य उन जीवों के बारे में और अधिक समझ विकसित करना है जिनमें प्राकृतिक रूप से वायरस पाये जाते हैं। साथ ही यह भी समझने का प्रयास किया जायेगा कि दूसरे जीवों से यह वायरस इंसानों में कैसे आया।