Joharlive Team
रांची। झारखंड में ‘मैनहर्ट’ मुद्दे पर सियासी घमासान एक बार फिर से तेज होने लगा है। दरअसल, जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय की हाल ही में एक किताब आई है, ‘मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला, लम्हों की खता’। इस किताब में सरयू राय ने 2005 में मैनहर्ट नियुक्ति में हुए घोटाले का मुद्दा उठाते हुए बीजेपी के दिग्गज नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले में शुक्रवार को रांची में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के डीजी से भी मुलाकात की और उनसे मेनहर्ट मामले में परिवाद पत्र सौंप कर जांच का आग्रह किया। आखिर मैनहर्ट घोटाला क्या है, जिसकी वजह से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय आमने-सामने आ गए हैं।
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पिछले साल संपन्न हुए झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान भी ‘मैनहर्ट’ का मुद्दा उठाया। सरयू राय ने बताया कि झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद रांची के कुछ समाजसेवी की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दी गई, जिसमें कोर्ट ने 2003 में अहम आदेश दिया। इसमें प्रदेश सरकार को राजधानी रांची में भी सीवरेज-ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था। उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के आदेशानुसार परामर्शी बहाल करने के लिए टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया गया। लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई। 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में नगर विकास मंत्री रघुवर दास बनाए गए। उन्होंने डीपीआर फाइनल करने के लिए 31 अगस्त को बैठक बुलाई। फिर उसमें फैसला लिया गया कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए। बाद में ये मामला हाईकोर्ट में भी गया।
सरयू राय ने कहा कि रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। इस पर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। उस समय से अब तक रांची में सिवरेज-ड्रेनेज का निर्माण नहीं हुआ। इसकी जांच के लिए पांच इंजीनियर चीफ की कमेटी भी गठित की गई थी। कमेटी ने करीब 17 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि एजेंसी और इसे नियुक्त करने वाले पर कार्रवाई होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने भी दो बार सरकार को नोटिस जारी दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब सरयू राय ने एंटी करप्शन ब्यूरो के डीजी से मुलाकात कर, पत्र सौंपा है। इसमें उन्होंने बताया कि रांची शहर के सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता, भ्रष्टाचार और षडयंत्र मामले की सघन जांच जरूरी है।
जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय ने खुलासा करते हुए कहा कि मैनहर्ट के नाम से जो टेंडर रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डी.पी.आर. तैयार करने के लिए डाली गयी, वह असली मैनहर्ट सिंगापुर नहीं है, बल्कि इसके लिए भारत में इस नाम की संस्था बनाकर टेंडर डाला गया। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर यह सही है तो अत्यंत गंभीर बात है। सरयू राय ने बताया कि परिवाद पत्र पर कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया गया है। जिससे आरोपियों को बेनकाब किया जा सके और अपने स्वार्थ के लिए राज्यहित और जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वालों को सजा मिल सके।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरयू राय के आरोपों पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरयू राय की किताब में मेरे नाम का जिक्र किया गया। जिस मैनहर्ट पर यह किताब है, वो मामला बहुत पुराना है। इसकी जांच भी हो चुकी है। सचिव से लेकर मुख्य सचिव तक ने इस पर जांच की है, कैबिनेट में भी यह मामला गया। भारत सरकार के पास भी मामला गया,वहां से स्वीकृति मिली। कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया। ऐसे में सवाल है कि क्या कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना जाता। अगर सरयू राय को लेकर लगता है कि कोर्ट का आदेश सही नहीं था तो उन्होंने इसमें अपील क्यों नहीं की। जिस समय कोर्ट के आदेश पर भुगतान हुआ उस समय न तो मैं मुख्यमंत्री था और ना ही मंत्री। जब मैं नगर विकास मंत्री था, उस समय मैनहर्ट के मामले में मैंने कमेटी बनवाई थी। रघुवर दास ने आरोप लगाया कि सरयू राय मेरी छवि को धूमिल करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
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