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पितृपक्ष महासंगम हिन्दी कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्लपक्ष के अनन्त चतुरदर्शी के दिन से हर वर्ष के शुरू होता है | इस वर्ष यह मेला 12 सितम्बर , 2019 को शुरू होगा और 28 सितम्बर 2019 को ख़त्म होगा| यह मेला धार्मिक मिथकीय व ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्व रखता है| हर वर्ष बड़ी सख्या मे सनातन हिंदू धर्मावलंबी गया पिंडदान के लिए आते है ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति हो सके | इसके लिए वे पिन्डदान करते है और विभिन्न धार्मिक क्रियाकलापों को विभिन्न वेदियों पर संम्पन्न करते हैं जो विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, अक्षयबट एव अन्य स्थानों पर स्थित है | यह मान्यता है की पितृपक्ष के दौरान गया मे पिन्डदान करने से उनके पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है|

महासंगम क्षेत्र में विभिन्न व्यवस्थाओं के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियां –

आवासन सुविधा : तीर्थयात्रियों के लिए आवासन सुविधाएँ पंडा जी के निजी भवनों में, धर्मशालाओं मे, होटलों मे, व विभिन्न विद्यालयों में उपलब्ध है जहाँ बिजली, पानी की आपूर्ति, प्रकाश एवं स्वच्छता जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जाती है| विद्यालयों में जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित शुल्क पर आवासन की सुविधा टी० मॉडल हाई स्कूल, महावीर हाई स्कूल, हरिदास सेमिनरी हाई स्कूल, धर्मसभा भवन , पीर मंसूर रोड, रामचंद्र सिंह वनमाली कन्या हाई स्कूल, जिला स्कूल, अनुग्रह कन्या हाई स्कूल, अनुग्रह कन्या मिडिल स्कूल, राजकिय मध्य विद्यालय घुघरिटांड मे उपलब्ध है|

फल्गू नदी-

गया के पूर्व मे बहने वाली फल्गु नदी मे सिर्फ़ मॉनसून के मौसम मे ही पानी आता है| अन्य मौसमो मे नदी बाहर से सूखी रहती है पर नदी के रेत को थोड़ा हटाने पर साफ पानी निकल आता है| देवी सीता के श्राप से यह नदी रेत के नीचे से बहती है|

सीता कुंड –

विष्णुपद मंदिर के विपरीत फल्गु नदी के दूसरे तट पर सीताकुंड के स्थित है | यहाँ पर एक छोटा मंदिर है जो उस स्थान को दर्शाता है जहाँ देवी सीता ने अपने श्वसुर को पिन्डदान किया था|

अक्षयवट –

प्रसिद्ध अक्षयवट विष्णुपद मंदिर के पास मे ही अवस्थित है| अक्षयवट को देवी सीता का आशीर्वाद प्राप्त है की वह अमर होने के साथ साथ इसके किसी भी मौसम मे पत्ते नही गिरते|

सती मंदिर-

गया के दक्षिण दिशा मे एक छोटी सी पहाड़ी पर प्रसिद्ध सती (गौरी) मंदिर है| यह मंदिर अक्षयवट के पास मे स्थित है| भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की मृत्यु से क्रुध होकर प्रलयंकारी तांडव नृत्य किया था| इसे रोकने के लिए और भगवान शिव के क्रोध को कम करने के लिए भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से देवी सती की मृत देह को विभिन्न टुकड़ो मे काट दिया| ये विभिन्न टुकड़े अलग-अलग स्थानो पर पृथ्वी पर गिरे जो विभिन्न शक्ति पिठों (देवी गौरी की पूजा हेतु पवित्र स्थल) के रूप मे स्थापित हुए|

रामशीला –

गया के दक्षिण – पूर्व दिशा मे स्थित रामशिला पहाड़ी गया के प्रमुख पवित्र स्थलों मे से एक है क्यूंकी अनुश्रुतियो के अनुसार भगवान राम ने इसी पहाड़ी पर पिन्डदान किया था| पहाड़ी का नाम भगवान राम के साथ जुड़ा हुआ है| यहाँ पर कई प्राचीन पत्थर की मूर्तियाँ मिली है जिन्हे अब भी पहाड़ी के उपर व उसके आसपास देखी जा सकती है जो यह दर्शाता है कि यहाँ बहुत पहले भी किसी मंदिर का अस्तित्व रहा होगा| पहाड़ी के उपर स्थित मंदिर को रामेश्वर या पातालेश्वर मंदिर कहा जाता है जिसे प्रारंभिक रूप मे 1014 ई० मे बनाया गया था लेकिन बाद मे इसकी कई बार मरम्मत व पूर्णस्थापना की गयी| मंदिर के सामने हिंदू श्रद्दालुओं द्वारा पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का पिन्डदान किया जाता है|

प्रेतशिला –

रामशिला पहाड़ी से लगभग 10 किलोमीटर दूर प्रेतशिला पहाड़ी स्थित है| ठीक पहाड़ी के नीचे ब्रहमकुंड स्थित है| इस जलाशय मे स्नान करने के उपरांत लोग पिन्डदान करने के लिए जाते है| इस पहाड़ी के शिखर पर इंदौर की महारानी, अहिल्या बाई के द्वारा 1787 ई० मे राम मंदिर बनवाया गया था जिसे अब अहिल्या बाई मंदिर के नाम से जाना जाता है| यह मंदिर हमेशा से ही अपने विशिष्ट स्थापकला और शानदार मूर्तियाँ के लिए प्रयटकों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है|

https://youtu.be/RuI8Lcx85UI
http://www.pinddaangaya.in से साभार

दिनांक श्राद्धक्रम

  • 12.09.2019 गुरूवार भाद्रपद शुक्लपक्ष अनन्तचर्तुदर्शी तीर्थपुरोहित पण्डाजी का पांवपूजा पुनपुन, गोदावरी श्राद्ध
  • 13.09.2019 शुक्रवार भाद्रपद शुक्लपक्ष पुर्णिमा फलगु स्नान श्राद्ध, तीर्थपुरोहित पण्डाजी का पांवपूजा खीर का पिण्डा
  • 14.09.2019 शनिवार आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपदा (सुबह 08:41 से) ब्रह्मकुण्ड जौ चुर्णश्राद्ध, प्रेतशिला, रामशिला, रामकुण्डश्राद्ध, काकबलि तीन पिण्ड
  • 15.09.2019 रविवार आश्विन कृष्णपक्ष द्वितिया (सुबह 08:45 से पाँच तीर्थ) पंचतीर्थ उत्तम मानस, उदीची, कनखल, दक्षिणामानस, जिव्हालोल श्राद्ध, गजाधर जी का पंचामृत स्नान
  • 16.09.2019 सोमवार आश्विन कृष्णपक्ष द्वित्या श्राद्ध पंचतीर्थ उत्तम मानस, उदीची, कनखल, दक्षिणामानस, जिव्हालोल श्राद्ध, गजाधर जी का पंचामृत स्नान
  • 17.09.2019 मंगलवार आश्विन कृष्णपक्ष तृतीया सरस्वती स्नान पंचरत्न दान, मातंग़वापी श्राद्ध, धर्मारण्यकूप के मध्य श्राद्ध
  • 18.09.2019 बुधवार आश्विन कृष्णपक्ष चौठ ब्रह्मसरोवर, काकबलि श्राद्ध, अम्रसिंचन, तारक ब्रम्‍हा दर्शन
  • 19.09.2019 गुरूवार आश्विन कृष्णपक्ष पंचमी विष्णुपद, ब्रह्मपद, रूद्रपद श्राद्ध, तीर्थपुरोहितजी पंण्डाजी का पांॅंवपूजा
  • 20.09.2019 शुक्रवार आश्विन कृष्णपक्ष षष्टि सोलह वेदी कार्तीकपद बगैरह
  • 21.09.2019 शनिवार आश्विन कृष्णपक्ष सप्तमी सूर्यापद बगैरह
  • 22.09.2019 रविवार आश्विन कृष्णपक्ष अष्टमी गजकर्न पद दूध तर्पण,अन्नदान
  • 23.09.2019 सोमवार आश्विन कृष्णपक्ष नवमी रामगया श्राद्ध, सीताकुण्ड बालु का पिण्ड, पण्डाजी का पांॅवपूजा, सुहागपिटरी दान
  • 24.09.2019 मंगलवार आश्विन कृष्णपक्ष दशमी (पूर्वाहन 11:42 तक) गयासुर, गयाकूप श्राद्ध, मध्यान 12:00 बजे से मुण्डपृष्ठ, आदिगया ,घोतपद श्राद्ध, चाँदी दान
  • 25.09.2019 बुधवार आश्विन कृष्णपक्ष एकादशी (पूर्वाहन 09:43 तक उपरांत द्वादशी) भीमगया, गोप्राचार, गदालोल, श्राद्ध एंव स्वर्ण दान
  • 26.09.2019 गुरूवार आश्विन पक्ष त्रयोदसी विष्णुपद तर्पण संध्या में द्वीप दान
  • 27.09.2019 शुक्रवार आश्विन कृष्णपक्ष चर्तुदर्शी वैतरणी तर्पण, गोदान
  • 28.09.2019 शनिवार आश्विन कृष्णपक्ष अमावश्या अक्षयवट श्राद्ध खीर का पिण्ड शोडशदान सुफल
  • 29.09.2019 रविवार अश्विन शुक्लपक्ष प्रतिदान गायत्रीघाट दही चावल का पिंड, आचार्य का दक्षिणा विदाई

वेदियों की सूची

क्रमांक पिंडवेदी स्थान

  • 1 पुनपुन पुनपुन गया – पटना रेलखंड के पुनपुन घाट स्टेशन एवं गया – डेहरी रेलखंड के अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन के समीप यह पिंड वेदी स्थित
  • 2 गोदावरी मंगलागौरी जाने वाले रास्ते में |
  • 3 फल्गू नदी देवघाट से लेकर पितामहेश्वर घाट |
  • 4 प्रेतशिला प्रेत शिला पहाडी के नीचे |
  • 5 ब्रहमकुन्ड प्रेत शिला पहाडी के नीचे
  • 6 रामशीला पंचायती अखाड़ा के समीप स्थित
  • 7 काकवली रामशिला पहाड़ी के समीप |
  • 8 उतरमानस पितामहेश्वर मुहल्ला |
  • 9 दक्षिणमानस विष्णुपद क्षेत्र में सुर्यकुन्ड में|
  • 10 उदीची विष्णुपद क्षेत्र में सूर्यकुन्ड
  • 11 कनखल विष्णुपद क्षेत्र में सूर्यकुन्ड
  • 12 जिह्वालोल फल्गुनदी के किनारे विष्णुपद मंदिर के पास
  • 13 गदाधर वेदी विष्णुमंदिर परिसर |
  • 14 सरस्वती वेदी गया – बोधगया रोड पर अमवाँ गाँव से पूरब|
  • 15 मतंगवापी बोधगया
  • 16 धर्मारन्य बोधगया
  • 17 बोधितरु बोधगया
  • 18 ब्रह्मसरोवर मड़नपुर
  • 19 काकबलि मड़नपुर
  • 20 आम्रसेचन मंगलागौरी मंदिर के निचे
  • 21 तारकब्रहम तारकब्रहम मंगलागौरी मंदिर क नीच
  • विष्णुपद मंदिर
  • 22 रुद्रपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 23 ब्रह्मपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 24 दक्षिणाग्निपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 25 गार्हपत्यग्निपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 26 आह्वन्याग्निपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 27 सन्भ्यग्निपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 28 आवस्थ्यगनिपद विष्णुपद मंदिर परिसर
  • 29 सूर्यपाद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 30 कर्तिकेय पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 31 इंद्रपद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 32 अगस्तपद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 33 काण्वान विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 34 चंद्र पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 35 गणेश पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 36 कौच पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 37 मँतग पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 38 कश्यप पद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 39 गजकर्णपद विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 40 सीताकुंड फलगुनदी क पूर्वी तट क किनारे देवघाट क सामने
  • 41 रामगया फलगुनदी क पूर्वी तट क किनारे देवघाट क सामने
  • 42 गया सिरा विष्णुपद श्मशान घाट
  • 43 गयाकूप विष्णुपद मन्दिर परिसर
  • 44 मुण्डपृष्टा करसिल्ली पहाड़ी पर
  • 45 आदिगया करसिल्ली पहाड़ी पर
  • 46 धौतपद दक्षिण दरवाजा
  • 47 बैठरणी दक्षिण दरवाजा
  • 48 भींगगया मंगलागौरी
  • 49 गोप्राचार मंगलागौरी
  • 50 अक्षयवट माड़नपुर
  • 51 गदालोल अक्षयवट क समीप
  • 52 गायत्री घाट ब्राह्मनीघात के समीप
  • पितृपक्ष महासंगम से संबंधित सरोवर कि सूची
  • 1 ब्रहम सरोवर
  • 2 बैतरणी सरोवर
  • 3 रुकमिनी तालाब
  • 4 सुर्यकुन्ड
  • 5 पितामहेश्वर
  • 6 गोदावरी
  • 7 रामशीला
  • 8 प्रेतशीला

पंडों की सूची और संबंधित सभी कार्यक्रम अगले भाग में…..

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