रांची: राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सदर में ब्लड बैंक खोला गया है. यह बैंक इसलिए खोला गया ताकि मरीजों को ब्लड के लिए दौड़ न लगानी पड़े. लेकिन सदर के ब्लड बैंक से खून लेना मरीजों के परिजनों के लिए किसी जंग से कम नहीं है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लड डोनेट करने के बावजूद डायलिसिस वाले एक मरीज के परिजन को खून नहीं मिला. वहीं ब्लड बैंक के स्टाफ गीतांजलि पर मनमानी का भी आरोप लगाया गया है. बैंक में उस ग्रुप का खून उपलब्ध होने के बावजूद परिजन को लौटा दिया गया.
क्या है पूरा मामला
खेलगांव के अंशु कुमार ने बताया कि उसके पिता की डायलिसिस होती है. उन्हें ए पॉजिटिव खून की जरूरत थी. ऐसे में वह मंगलवार को डोनर लेकर ब्लड बैंक गया था. लेकिन उसे लौटा दिया गया. इसके बाद युवक ने सिविल सर्जन के नाम से एक आवेदन दिया. सिविल सर्जन नहीं थे तो डीएस को उसने आवेदन दिया. जिस पर डीएस ने डॉ रंजू सिन्हा इंचार्ज ब्लड बैंक को फारवर्ड कर दिया. इसके बाद भी उसे ब्लड बैंक से खून नहीं मिला.
वहीं इस मामले में ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ रंजू सिन्हा का कहना है कि विषम परिस्थितियों में ही हम खून नहीं दे पाते है. हो सकता है कि उस समय जिस ग्रुप के खून की मांग की गई वह न हो. इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है. परिजन को मेरे पास भेजे जो संभव होगी मदद कर दी जाएगी.