Khunti : मुरहू प्रखंड में बहने वाली बनई नदी पर घाघरा और जामटोली के बीच 100 ग्रामीण महिला-पुरूषों ने मदईत परंपरा के तहत श्रमदान कर बोरीबांध बनाया. ग्रामीणों को सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष अजय शर्मा के द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर सहयोग करते हुए सीमेंट की खाली बोरियां और बोरीबांध बनने के बाद सामुहिक भोज की भी व्यवस्था की गई. बता दें कि बोरीबांध बनने के बाद नदी में लगभग आधा किलोमीटर दूर तक पानी लबालब भर गया है. 24 घंटे बाद नदी डैम की तरह नजर आएगा. बोरीबांध की उंचाई लगभग सात फीट और लंबाई 100 मीटर से ज्यादा है. बोरीबांध बनने के बाद अब घाघरा और जामटोली के किसान लगभग 50 एकड़ से ज्यादा भूखंड में लगे तरबूज की खेती कर पाएंगे.
मामले में पूर्व उपमुखिया जगन्नाथ मुंडा ने कहा कि अगर बोरीबांध नहीं बनता तो फरवरी माह के बाद नदी का बहाव थम जाता और दो गांवों के किसानों समेत आम लोगों को परेशानी होती. अब पूरे गर्मी जामटोली व घाघरा गांव के लोगों को पानी की परेशानी नहीं होगी.
वहीं बसंत मुंडा ने कहा कि बनई नदी पर बांध बनने से गांव के चापानलों और कुंआ का पानी गर्मी के मौसम भी नहीं सुखता है. इस बोरीबांध से किसानों को खेती करने में सहुलियत होगी. मवेशियों को पीने का पानी मिलेगा, गांव के लोगों को नहाने-धोने के लिए पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
मौके पर सेवा वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष से जनसमुदाय की मदद से बोरीबांध बनाए जा रहे हैं. कहीं से कोई मदद नहीं मिल रहा. वर्ष 2024 में कुल 25 बोरीबांध बनाए गए थे. इस वर्ष अब तक चार बोरीबांध बनाए जा चुके हैं. इससे पूर्व जब-जब प्रशासनिक सहयोग मिला था, तब तीन वर्षों में लगभग 175 बोरीबांध बनाए गए थे. मालूम हो कि खूंटी के बोरीबांध मॉडल की प्रसंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के 101 एपीसोड में कर चुके हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉच अवार्ड व जलशक्ति अवार्ड भी बोरीबांध के इस मॉडल को मिला है. राष्ट्रीय स्तर पर जल संचयन व जल संरक्षण के लिए बोरीबांध को बेहतर उपाय माना गया है.
बुधवार को जामटोली व घाघरा के मध्य बने बोरीबांध में श्रमदान करने वालों में राहुल महतो, सूरज कर, जगन्नाथ मुंडा, बसंत मुंडा, हराधन मुंडा, माधुरी मुंडा, रघुनाथ मुंडा, दीपेश अधिकारी, महेंद्र मुंडा, सुखराम मुंडा, नीलुंग मुंडा, चैतू पाहन, शिवकुमार महतो, मागो मुंडा, सिंगराय मुंडा, सुखराम मुंडा, कैलाश मुंडा, सोमा मुंडा, हेमेश्वरी देवी, सुसारी देवी, अनिता संगा, सुमित्रा देवी, उर्मिला देवी, फुलमनी देवी, पिंकी देवी, मंगरी देवी, सुनीता देवी समेत जामटोली व घाघरा के ग्रामीणों का महत्वपुर्ण योगदान रहा.
Also Read : झारखंड में तापमान का उतार-चढ़ाव जारी, 8 फरवरी के बाद फिर गिर सकता है पारा
Also Read : दुकान से घर लौट रहे दो युवक को मा’री गो’ली, बाइक से आये थे दो अपराधी
Also Read : रांची में 102 ASI का तबादला, अधिसूचना जारी
Also Read : कांड करते धराये पांच साइबर क्रिमिनल्स, FB के जरिये करते धोखाधड़ी… जानें कैसे