नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने असम सरकार के मुस्लिम समाज के लिए शादी और तलाक का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. विहिप ने कहा है कि देश के अन्य राज्यों को भी इस तरह के कानून को अपनाना चाहिए. विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा कि असम सरकार का यह निर्णय राज्य की बेटियों को शारीरिक उत्पीड़न से मुक्ति दिलाएगा और बाल विवाह तथा महिला अत्याचारों पर रोक लगाएगा. बंसल ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सराहना करते हुए कहा कि अगर बहु विवाह को भी अपराध घोषित किया जाए तो असम की महिलाएं और समाज हमेशा इसके प्रति आभारी रहेगा.
महिला सशक्तीकरण और कुप्रथाओं पर अंकुश
विहिप ने अन्य राज्यों की सरकारों से अपील की है कि वे भी इस महिला कल्याणकारी पहल का अनुसरण करें. बंसल ने कहा कि इस कानून से बाल विवाह, बहु विवाह, बहु संतान और हलाला जैसी कुप्रथाओं पर अंकुश लगेगा और महिलाओं को दत्तक, तलाक, भरण पोषण, संपत्ति में हिस्सा और पर्दा प्रथा से मुक्ति मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून विवाहित महिलाओं को उनके अधिकारों का दावा करने और विधवाओं को पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के लाभ दिलाने में सहायक होगा.
असम विधानसभा का ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि असम विधानसभा ने 29 अगस्त को असम मुस्लिम शादी और तलाक अनिवार्य विधेयक 2024 को पारित किया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, मुस्लिम समाज के लिए शादी और तलाक का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य हो जाएगा और 90 साल पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को रद्द कर दिया जाएगा. असम कैबिनेट ने इस बिल को 22 अगस्त को मंजूरी दी थी.
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