देहरादून : उत्तरकाशी टनल हादसे में 92 घंटे के बाद भी सात राज्यों के 40 मजदूरों को निकालने में सफलता नहीं मिल पाई है. मजदूरों के परिजनों का धैर्य जवाब देने लगा है. वहीं, निर्माण एजेंसी की ओर से मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज किया गया है. मजदूरों को बचाने के लिए करीब 200 लोगों की टीम पसीना बहा रही है. मजदूर सुरंग के एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं. जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है. रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है. जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है. अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 मिलीमीटर चौड़े स्टील पाइप डाले जा रहे हैं. कोशिश है कि मलबे के आर-पार स्टील पाइप डालकर अंदर से एक-एक करके मजदूरों को निकाला जा सके.

वहीं बुधवार को दिल्ली से विमानों के जरिए एक भारी ऑगर मशीन चिन्यालीसौड़ लाई गई. इस मशील के आने के बाद श्रमिकों के रेस्क्यू का मिशन तेज होने की उम्मीद की जा रही है. इस कार्य को लेकर अधिकारियों की ओर से तैयारी पूरी की गई है.

मजदूरों के रेस्क्यू के लिए थाईलैंड और नॉर्वे की एक्सपर्ट टीमों की मदद भी ली जा रही है. अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 मिलीमीटर व्यास के पाइप डाले जा रहे हैं. कोशिश है कि मलबे के आर पार स्टील पाइप करके अंदर से ही एक-एक करके मजदूरों को निकाला जा सके.

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