Joharlive Team
रांची। ई-सिम को ठगी का अपना नया हथियार बना लिया है। इसमें कॉल व लिंक भेजकर माेबाइल उपभोक्ताओं को ये अपनी ठगी के जाल में फंसा रहे। जामताड़ा साइबर ठगी के लिए देशभर में कुख्यात जामताड़ा के शातिर लोगों के बैंक खाते से माल उड़ाने के लिए नित नए नुस्खे आजमाते रहते हैं। इन दिनों ई-सिम का चलन बढ़ा तो इसी के जरिये साइबर ठग लोगों को झांसे में लेने लगे। ई-सिम अपडेट या एक्टिवेट करने तथा बैंक खाते या वॉलेट से मोबाइल को जोड़ने व केवाइसी अपडेट करने के नाम पर ये साइबर ठग लोगों को फोन कर उन्हें विश्वास में लेते हुए निजी विवरण हासिल कर लेते हैं। कई मामले में तो ग्राहकों के बैंक खाते से जुड़े सिम का ही डुप्लीकेट सिम जारी कर ओटीपी अपने पास मंगा लेते हैं। सिम से बैंक खाते का सफर तय करने में इन्हें मिनट भर लगते हैं। सीधे कहें तो ई-सिम अब साइबर क्राइम का अपग्रेड वर्जन है।
फरीदाबाद पुलिस की छापामारी के बाद ई-सिम स्वैपिंग ठगी का खुलासा
देश के 23 राज्यों की पुलिस की नींद उड़ाने वाले जामताड़ा के डिजिटल ठग साइबर अपराध का दिनोंदिन तकनीक बदलते रहे हैं। फिलहाल ई-सिम नया हथियार है। लिंक के माध्यम से देश भर के पेटीएम खाता धारकों को हाल के महीनों में निशाना बना रहे थे। पर अब जामताड़ा के साथ पड़ोस के जिले देवघर के ठग भी ई-सिम को ठगी का अपना नया हथियार बना लिया है। इसमें कॉल व लिंक भेजकर माेबाइल उपभोक्ताओं को ये अपनी ठगी के जाल में फंसा रहे। इसका खुलासा हरियाणा पुलिस के हाथों संतालपरगना के दो जिलों में क्रमश: देवघर से तीन व जामताड़ा से एक अपराधी की गिरफ्तारी से हुआ है। इन चारों अपराधियों से पूछताछ के आधार पर फरीदाबाद पुलिस पूरे रैकेट को तोड़ने में लगी है। पुलिस की माने तो इसी हफ्ता देवघर के जगदीशपुर थाना के दारवे गांव से भरत मंडल, चरकू उर्फ शत्रुघ्न व व नरेंद्र मंडल को फरीदाबाद पुलिस ने दबोचा। दारवे गांव के कुख्यात ठगों की निशानदेही पर ही यहां अजय मंडल पुलिस के हत्थे चढ़ा था। चारों को पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर ले गई है।
सिम को 3जी से 4जी में अपग्रेड करने के बहाने खाते की जुटाते जानकारी
साइबर ठगी के इस नए तरीके को लेकर जामताड़ा पुलिस फरीदाबाद पुलिस से बुधवार को संपर्क भी की ताकि मोबाइल धारकों को झांसा देने के नए तरीके की विस्तृत जानकारी मिल सके और अन्य अपराधियों को यहां चिन्हित किया जा सके। इन अपराधियों ने फरीदाबाद थाना के एक संभ्रांत व्यक्ति को सिम अपग्रेड करने के नाम पर कॉल किया। विश्वास में लेकर उन्हें लिंक भेजा और उनसे नए सिम के लिए अनुरोध लिया। अनुरोध भरा लिंक साइबर अपराधियों के हाथ आने के साथ पीड़ित का सिम ब्लॉक हो गया और फिर उनके नाम से नया सिम एक्टिवेट कर ये अपराधी उनके सिम में दर्ज बैंक से जुड़ी जानकारी लेकर उनके पूरे खाते को ही खाली कर दिया। पुलिस की मानें तो अब साइबर अपराधी विभिन्न कंपनियों के मोबाइल धारकों से लिंक व कॉल के जरिए संपर्क साध कर यह कहता है कि आपके मोबाइल सिम को ई-सिम में बदलना है। थ्री-जी से फोर-जी के तौर पर उन्नत करना है। या फिर कई सुविधा पूर्ण योजना बताकर पोर्ट कराने की जानकारी देते हैं। ये खुद का परिचय संबंधित मोबाइल कंपनी के अधिकारी के रूप में देते हैं। मोबाइल धारक को विश्वास में लेते ही पीड़ित का ई-मेल आईडी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं या फिर अपनी ई-मेल आइडी भेजकर धारक को उससे जुड़ने को कहा जाता है। ऐसा करने पर संबंधित मोबाइल धारक माेबाइल में दर्ज बैंकखाता नम्बर, अंक तक हुए लेन-देन समेत सारी जानकारी अपराधी हैक के जरिए अपने नियंत्रण में कर लेता है। फिर उनके खातों से ऑनलाइन राशि उड़ता है।
मोबाइल कंपनियों और बैंकों के कर्मचारियों से मिलीभगत
साइबर अपराधियों के लिए मोबाइल नंबर पता करना कोई बड़ी बात नहीं है। उनकी पहुंच संबंधित मोबाइल कंपनियों व बैंकों तक लंबे अर्से से रही है। वे पूरे बंच में पेटीएम समेत बैंकों व मोबाइल कंपनियों से नम्बर पीडीएफ फाइल में मंगाते रहे हैं। कई बार ऐसे रैकेट का गठजोड़ दिल्ली से पंजाब तक रहने का खुलासा जामताड़ा पुलिस कर चुकी है।पुलिस की मानें तो ई-सिम के नाम पर झांसा देकर झारखंड, बिहार, बंगाल, पंजाब, हरियाणा के सैंकड़ों राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक खातों तक पहुंच साइबर अपराधी बना चुके हैं। वे खातों से राशि उड़ाने के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक,फोनपे, ओला मनी, एयरटेल पेमेंट्स बैंक आदि से मिले वॉलेट में ट्रांसफर करते हैं। देवघर के गिरफ्तार अपराधियों ने ई-सिम के नाम पर झांसा देकर राशि उड़ाने की जानकारी पुलिस को पूछताछ में दी है। आरोपी पंजाब और हरियाणा के कई ठेकेदारों से भी जुड़ा है। यह बिहार और झारखंड से प्रवासी मजदूरों को लाता था। इन ठेकेदारों ने अपने बैंक खाते के विवरण सहित मजदूरों के एक डेटाबेस बना रखा है। इसी का उपयोग अपराधी करते। पता चला है कि जुलाई में तेलंगाना के साइबराबाद पुलिस स्टेशन ने ई-सिम स्वैप के चार मामले दर्ज किए। इसमें धोखाधड़ी करने वालों ने 21 लाख रुपये तक की निकासी की थी। महाराष्ट्र पुलिस की साइबर विंग ने पहले ई-सिम स्वैप धोखाधड़ी के खिलाफ एक एडवाइजरी जारी की थी।
साइबर अपराधी अपनी ठगी की तकनीक बदलते रहे हैं। मोबाइल सिम अपग्रेड करने के नाम पर ई-सिम का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी करने की जानकारी मिली है। इस मामले में इसी हफ्ते जामताड़ा से एक व देवघर जिले से तीन साइबर अपराधियों की गिरफ्तार हुई है। स्थानीय पुलिस के सहयोग से जामताड़ा से गिरफ्तार एक साइबर अपराधी को फरीदाबाद पुलिस ले गई है। पुलिस इस मामले की पड़ताल कर रही है। सिम अपग्रेड करने या पोर्ट कराना हो तो सीधे कंपनी के अधिकृत नम्बर को सत्यापन करने के बाद उस पर संपर्क करें। तभी उन्हें अपनी गोपनीय जानकारी दें। लिंक मोबाइल पर खोलने व उसपर जवाब देने से बचें।
-अंशुमन कुमार, एसपी, जामताड़ा।