देवघर: विजयादशमी के साथ जी नवरात्र का त्योहार देवनागरी में पारंपरिक तरीके से मनाया गया. वेदी पर स्थापित दुर्गा प्रतिमाओं का शनिवार धाम को विसर्जन हो गया. भीतरखंड भीतरपाड़ा, घड़ीदार घर, अभया दर्शन, बंगला पर, भैया दलान, डोमासी समेत अन्य देवी मंडपों पर स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा को लेकर विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई. बाबा मंदिर के पूरब दरवाजे पर स्थित श्यामाचरण मिश्र परिवार में होने वाली दुर्गा पूजा का विसर्जन अनोखे तरीके से किया गया. पालकी पर मां की प्रतिमा की विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई. बाबा मंदिर पहुंचकर प्रतिमा को एक स्थान पर रखा गया. उसके बाद उसे शिवगंगा सरोवर ले जाया गया, वहां नाव पर प्रतिमा को चारों ओर प्रदक्षिणा करा कर बीच शिवगंगा में विसर्जन किया गया. शिवगंगा में नाव से प्रतिमा का विसर्जन सिर्फ श्यामाचरण मिश्रा परिवार में ही किया जाता है. यह परंपरा बरसों से चली आ रही है. यह पूजा शहर की दूसरी सबसे पुरानी पूजा है. यहां 1692 से दुर्गा पूजा हो रही है. इस पूजा की शुरूआत साधक स्वरूपचरण मिश्र ने की थी. तब से लेकर आजतक उनके वंशज इस परंपरा को निभा रहे हैं. बाबामंदिर के पूरब दरवाजे के सामने गली में श्यामाचरण मिश्र परिवार के घर की वेदी बनी हुई है. इस पूजा की खासियत है कि यहां नाव पर मां भगवती का शिवगंगा तालाब में विर्सजन होता है. उधर देवी प्रतिमाओं की विसर्जन को लेकर शिवगंगा तट पर मिले सा नजर रहा. नम आंखों से लोगों ने मां को विदाई दी. घाट पर मां के अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. देर रात तक देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन चलता रहा. वही पंडालों में स्थापित दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन 13 और 14 अक्टूबर को होगा.

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