Joharlive Team
रांची। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने डीवीसी का बकाया वसूलने के लिए झारखंड सरकार के आरबीआई खाते से 714 करोड़ रुपये काट लिया है। एक दिन पहले ही झारखंड सरकार की ओर से ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने ऊर्जा मंत्रालय और आरबीआई को पत्र लिख कर जानकारी दी थी कि मंत्रिपरिषद ने त्रिपक्षीय समझौते से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। दूसरी किस्त न काटी जाए।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सचिव संजीव एन. सहाय ने आरबीआई गर्वनर को डीओ लेटर जारी कर त्रिपक्षीय समझौते के तहत झारखंड सरकार के खाते से डीवीसी बकाया 2114.18 करोड़ वसूलने के लिए 714 करोड़ काट कर केंद्र सरकार के खाते में जमा करने को कहा। आरबीआई ने कार्रवाई कर दी है। समझौते की शर्तों के तहत पहली किस्त बीते वर्ष अक्तूबर 2020 में 1417.50 करोड़ रुपये काटी गई। इसके बाद झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) की ओर से बकाया भुगतान नहीं किए जाने पर दूसरी किस्त काटने के लिए 20 दिसंबर को नोटिस दिया गया था।
पत्र में कहा गया है कि डीवीसी बिजली की आपूर्ति जेबीवीएनएल को करता है। यह आपूर्ति 2015 और 2017 में दोनों के बीच हुए बिजली खरीद समझौते के तहत की जाती है। लेकिन जेबीवीएनएल खरीदी गई बिजली का नियमित भुगतान नहीं कर रहा। इस कारण 30 नवंबर 2020 तक जेबीवीएनएल पर डीवीसी का 4949.56 करोड़ रुपये कुल बकाया हो गया है। झारखंड सरकार अवविवादित 3558.68 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमत है। अक्तूबर 2020 में बकाया किस्त 1417.50 करोड़ रुपये काटा जा चुका है। शेष 2114.18 करोड़ रुपये बकाया को 714 करोड़ की तीन किस्तों में वसूला जाएगा। शेष राशि डीवीसी की ओर से बकाया का आकलन करने के बाद समाहित की जाएगी।
त्रिपक्षीय समझौता
ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार, झारखंड सरकार और आरबीआई के बीच 27 अप्रैल 2017 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। यह समझौता केंद्रीय उपक्रमों जैसे बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को पेंमेंट गैरंटी के लिए किया गया था। इसके तहत दिए गए बिल की तारीख से 60 दिन या रिसिप्ट देने के 45 दिन में भुगतान नहीं किया गया तो केंद्र सरकार के अंतर्गत ऊर्जा मंत्रालय वसूली के लिए राज्य सरकार के आरबीआई खाते से पैसे काटने के लिए आरबीआई को डीओ लेटर जारी कर सकेगा।
त्रिपक्षीय समझौते से झारखंड बाहर हुआ
झारखंड मंत्रिपरिषद की छह जनवरी को हुई बैठक में त्रिपक्षीय समझौते से झारखंड ने बाहर निकलने कर फैसला लिया। कहा गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं , 15वें वित्त आयोग के तहत व संविधान के तहत मिलने वाली रााशि में से बकाया वसूली की गई। इससे राज्य और राज्य की जनता पर प्रभाव पड़ा। इस समझौते को एक तरफा बताया गया। इसलिए इससे बाहर निकलने का निर्णय लिया गया। दूसरी ओर केंद्र ऊर्जा मंत्रालय ने बकाया वसूली के लिए पत्र भी छह जनवरी को जारी किया था।