Joharlive Desk
नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर खासा प्रभाव पड़ा है। आईएएनएस-सीवोटर इकोनॉमिक बैटरी वेव सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि इस लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हो गए हैं। सर्वे से पता चला है कि लगभग 47 प्रतिशत कर्मचारी, जो फ्रेशर हैं या जो 45 वर्ष की आयु के हैं, उनको या तो निकाल दिया गया, या फिर उनके पास काम नहीं रह गया है।
फ्रेशर-लेवल से लेकर 25 साल की उम्र तक के ग्रुप में लगभग 24.3 फीसदी लोग बेरोजगार हैं और 25-45 साल की उम्र में 22.9 फीसदी उत्तरदाताओं को नौकरी से निकाल दिया गया है।
सैंपल साइज 1,397 वाले इस सर्वे से यह भी पता चला है कि 25-45 वर्ष के आयु समूह के 11.7 प्रतिशत उत्तरदाता या तो अवैतनिक छुट्टी पर हैं या काम बंद होने के कारण उनके पास कोई आय नहीं है। इस लॉकडाउन में 25 वर्ष की आयु तक के 7 प्रतिशत फ्रेशर्स बिना आय के गुजारा कर रहे हैं।
लॉकडाउन में कम सैलरी वालों की नौकरी सबसे ज्यादा गई। जून के पहले सप्ताह में किए गए सर्वे के अनुसार लगभग 27.6 प्रतिशत लोगों को बेरोजगार पाया गया और मध्यम आय वर्ग के लोगों में 21.2 प्रतिशत को नौकरी गंवानी पड़ी।
अधिक आय वर्ग में से 7.2 प्रतिशत लोगों को लॉकडाउन के दौरान छंटनी का सामना करना पड़ा।
कोरोनावायरस महामारी में दुनिया भर की कंपनियां आर्थिक तंगी के कारण अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने पर मजबूर हो रही हैं, वहीं पहले से ही अपने इतिहास के बेरोजगारी के एक बुरे दौर से गुजर रहे भारत को इस महामारी के कारण एक और बड़ा झटका लगा है। यह चिंता बरकरार है, क्योंकि कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि नौकरियों के खत्म होने और निकाले जाने का सिलसिला जल्द समाप्त होने वाला नहीं है।
उड्डयन और हॉस्पिटैलिटी खंड के नेतृत्व में कई कंपनियों ने नौकरियों में कटौती की है और वेतन कटौती व अवैतनिक छुट्टी जैसे अन्य लागत कटौती के कदम उठाए हैं।
विमानन कंपनियों, हॉस्पिटैलिटी, रेस्टोरेंट और रिटेल सेगमेंट की कंपनियों और अन्य ने सरकार से अपने व्यवसायों में मदद मांगी है, ताकि नौकरियों को खत्म होने से बचाया जा सके।