आधुनिक काल में ध्वनि को एक ऊर्जा के रूप में बहुत कम महत्व दिया गया है। दूसरी ओर, हमारे पूर्वजों ने ध्वनि के विषय में गहराई से अध्ययन किया और जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने के लिए हमें मंत्रों का विज्ञान दिया।शरीर को ठीक करने, बुढ़ापा रोकने और मृतकों को पुनर्जीवित करने से लेकर ध्वनि के प्रभाव से भारी वस्तुओं को उठाना, दीप जलाना, वर्षा करना और यहाँ तक कि पृथ्वी से परे अन्य लोकों और शक्तियों के साथ तक संबंध स्थापित करना, हमारे ऋषियों ने हमें हर चीज के लिए मंत्र दिए हैं।

धीरे-धीरे आधुनिक वैज्ञानिक भी ध्वनि की शक्ति के प्रति जागृत हो रहे हैं – ध्वनिक अग्निशामक विकसित किए जा रहे हैं, वस्तुओं को उठाने, बिजली तथा प्रकाश उत्पन्न करने, कैंसर को ठीक करने आदि के लिए ध्वनि तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। हमारे वैदिक ऋषियों ने इसे युगों पहले ही सिद्ध कर दिया था।

“क्या आप जानते हैं कि सृष्टि में एक बार ध्वनि उत्पन्न हो जाने के बाद, यह सदैव के लिए स्थापित रहती है… देवों और वेदिक ऋषियों की ध्वनि तक पहुंचना संभव है और ध्यान आश्रम में ऐसे अनेक साधक हैं, जिन्होंने ध्यान की अवस्था में विभिन्न मन्त्रों और स्तोत्रों को सुना है,” ध्यान आश्रम के अश्विनी गुरु जी ने साझा किया, जो ३ दशकों से अधिक समय से मंत्र विज्ञान के साथ प्रयोग कर रहे हैं।उनके मार्गदर्शन में हजारों लोगों ने मंत्रों की शक्ति का लाभ उठाया है।उदाहरण के तौर पर लोगों ने अपने सौंदर्य में परिवर्तन पाया और रोगों से मुक्ति।
उन्होंने कहा कि, “दिव्य चिकित्सा मंत्र सात आवृत्तियों का एक शक्तिशाली संयोजन है, जिसका निर्धारित तरीके से अभ्यास करने पर शरीर की विभिन्न कोशिकाओं का शुद्धिकरण होता है और उन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।”
“ध्यान आश्रम में मंत्रों का अभ्यास उनके मूल रूप में, बिना किसी संशोधन ,रूपांतरण और बिना किसी आर्थिक लेन देन के किया जाता है और उसी से अभ्यास में प्रभावशीलता आती है,” गुरु जी ने समझाया।

ध्यान फाउंडेशन 2 दशकों से दुनिया भर में यज्ञों का आयोजन कर रहा है जिनमें मंत्रों की शुद्धता के कारण में दिव्य शक्तियों का प्रकटीकरण हुआ है। इसका प्रमाण है कैमेरे से खींची गई यज्ञ अग्नि की तस्वीरें, जिनकी कोई एडिटिंग नहीं की गई है। पूर्व आयुष मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने ध्यान फाउंडेशन के साधकों द्वारा मंत्र जाप पर टिप्पणी करते हुए कहा था, कि, उन्होंने ऐसा उच्चारण पहले कभी नहीं सुना।

जनवरी 2020 में, विश्व पर आने वाली महामारी का पूर्वाभास करते हुए अश्विनी गुरु जी ने दिव्य चिकित्सा मंत्रों की एक प्रारंभिक साधना का अभ्यास दिया था जो साधक को एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है। उसके अभ्यास से साधक दूषित वातावरण के खतरों से सुरक्षित रहता है ।अश्विनी गुरुजी 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक कर्नाटक के ऐतिहासिक शहर उडुपी में एक विशेष 4 दिवसीय रिट्रीट में दिव्य चिकित्सा के सूक्ष्म पहलुओं का खुलासा करेंगे। चेतना के उत्थान में सहायक तथा पूर्व जन्मों में जाने की कुछ तकनीकें भी इसमें समाविष्ट हैं।

अधिक जानकारी के लिए आप ध्यान फाउंडेशन से संपर्क कर सकते हैं (www.dhyanfoundation.com; 9995868903)

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