जामताड़ा: भारत प्राचीन आदिवासी कोल जाति कल्याण समिति के बैनर तले गुरूवार को गांधी मैदान में 37वां कोल महासम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान विभिन्न जिले से आए कोल समाज के हजारों लोगों ने भव्य रैली निकाल कर पूरे बाजार का भ्रमण किया. नगर भ्रमण के बाद यह रैली गांधी मैदान में पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई. सम्मेलन में सर्वप्रथम कोल समाज का झंडा फहराया गया. सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कोल जाति कल्याण समिति के केंद्रीय अध्यक्ष उमानाथ कोल, केंद्रीय सचिव अनिल कोल, केंद्रीय कोषाध्यक्ष पशुपति कोल आदि शामिल हुए. मौके पर केंद्रीय अध्यक्ष उमानाथ कोल ने कहा कि भारत प्राचीन आदिवासी कोल जाति कल्याण समिति, एक सामाजिक संगठन है. इसके माध्यम से पूरे भारत में जाति उत्थान, कल्याण के लिए कार्यक्रम आयोजित की जाती है. उन्होंने कहा कि इस महासम्मेलन का मुख्य उदेश्य शिक्षा पर जोर, नशामुक्ति एवं सामाजिक कुप्रथा, दहेज, बाल -विवाह, अंधविश्वास, छड़वी प्रथा, एतिहासिक परंपरा, रीति-रिवाज, भाषा-सांस्कृतिक, जल, जंगल, जमीन से बेदखल हो रहे विषयों पर विशेष रूप से सामाजिक चर्चा एवं महिला जागरण पर बल दिया जाता है. कहा कि कोल समाज महासम्मेलन के द्वारा सरकार से मांग करती है कि लुप्त आदिवासियों को बचाने एवं आदिम जाति में शामिल कर कोल आदिवासी को पलायन से रोकने, प्रशासनिक सहमति और सहयोग तथा सर्वे कर इसका जाति गणना कराने के साथ साथ उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने की नितांत आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि कोल समाज को आदिम जनजाति का दर्जा दिया जाए. साथ ही उसी अनुरूप इस समाज को सरकार की सभी सुविधा प्रदान की जाए. साथ ही संविधान की पांचवी अनुसूची (अनुच्छेद – 244 (1)) के अनुसार कोल विकास प्राधिकरण का गठन किया जाए. वहीं वर्ष 1932 के खातियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने, लुप्त हो रहे कोल जाति का सर्वे कर एवं कोल की हड़पी जमीन को वापस कराने का मांग किया. कोल समाज का यह सम्मेलन हर वर्ष जामताड़ा के गांधी मैदान में आयोजित किया जाता है. यह सम्मेलन पूरे रात चलता है. देर शाम में रैली और झंडोतोलन के बाद सभा का कार्यक्रम आरंभ हुआ. सभी प्रमुख वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे. इस महासम्मेलन में भाग लेने के लिए झारखंड, बंगाल, बिहार सहित अन्य राज्यों से कोल समाज के आए कई महिला, पुरुष पहुंचे.
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