Vaishali : वैशाली जिले में पुलिस ने साइबर ठगी के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वैशाली पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर काजीपुर थाना क्षेत्र के पहेतिया गांव में छापेमारी कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार युवकों की पहचान उमाकांत साहनी का बेटा निखिल कुमार और दिनेश साहनी का बेटा मनदीप कुमार के रूप में की गई है. इनके पास से भारी मात्रा में तकनीकी उपकरण और फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं. गिरफ्तार आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, चार मोबाइल फोन, 309 एटीएम कार्ड, 234 सिम कार्ड, एक माइक्रो एटीएम डिवाइस, एक फिंगरप्रिंट स्कैनर, 53 आधार कार्ड की छायाप्रतियां, कई फर्जी दस्तावेज, डायरी और मनरेगा योजना से संबंधित 35 फाइलें बरामद की गईं.
फर्जी फाइनेंस कंपनी बनाकर करते थे ठगी
साइबर डीएसपी चांदनी सुमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को बताया कि आरोपी ‘दानवी फाइनेंस सर्विस लिमिटेड’ नाम की फर्जी कंपनी के जरिये लोगों से लोन देने के नाम पर दस्तावेज लेकर ठगी करते थे. कंपनी का कोई वैध लाइसेंस नहीं पाया गया है. इसके अलावा वे मनरेगा योजना में मजदूरों की रकम भी हड़प लेते थे.
मनरेगा मजदूरों के खातों में करते थे हेराफेरी
आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे मजदूरों के नाम पर फिनो पेमेंट बैंक में खाते खुलवाते थे और जब मनरेगा की राशि आती थी तो मजदूरों को थोड़ा पैसा देकर शेष राशि खुद के खाते में या किसी और के खाते में ट्रांसफर कर लेते थे. उन्होंने यह भी बताया कि मजदूरों को नया सिम दे दिया जाता था, ताकि उन्हें खाते की जानकारी न मिल सके.
स्थानीय पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
पुलिस ने यह भी बताया कि बड़ी संख्या में सरकारी दस्तावेज और मनरेगा की फाइलें आम नागरिक के घर से मिली हैं, जो प्रशासनिक लापरवाही और संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं. मामले में स्थानीय मुखिया और मनरेगा पदाधिकारी किशन गुप्ता की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है. फिलहाल दोनों आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है. अधिकारियों ने पूरे नेटवर्क और इसमें शामिल अन्य लोगों की तलाश शुरू कर दी है.
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