Joharlive Team

  • मूक बधिर होने के कारण शादी तक नही हुई है सगी बहनों की

तोरपा। केंद्र एवं प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों, मूक बधिर और नेत्रहीनों के लिए विभिन्न लाभकारी-कल्याणकारी योजना संचालित कर रखी हैं। बावजूद इसके सरकार की यह योजनाएं सरकारी विभागों की भ्रष्ट कार्य प्रणाली के चलते फाइलों में दम तोड़ रही हैं। जिससे पात्रों को समय रहते योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण तब देखने को मिला जब सरकार की योजनाओं से महरूम प्रखंड के एक ही परिवार के दो सगे बहने को सरकार द्वारा चलाई जा रहीं योजनाओं का लाभ ही नही मिल पा रहा है। उक्त दोनो ही जन्म से ही मुक़बधिर है जिन्हें आज भी सरकार की नजरे इनायत को तरस रहे है।  देखते ही देखते आज एक 40 वर्ष तथा एक 35 वर्ष  की हो गई। जी हां दोनो बहने प्रखंड अंतर्गत उकडिमाड़ी पंचायत के सेंसेरा गाँव की है । दोनो बहने में सबसे बड़ी तिला कुमारी 40 वर्ष व छोटी रायमुनिया 35 वर्ष की है । इनके पिता जगत गोप व माता सुशीला देवी है जो दूध बेच कर बेटियों को पाल रही है। 

दोनो बहने की दिव्यांग होने से शादी नही हुई

तिला व रायमुनिया की माँ सुशीला देवी रो रो कर  कहती है कि मेरी बेटियां  दिव्यांग होने के कारण आज तक कोई विवाह नही किया। ऐसे ही घरों में हमलोगों का हाथ  बांटती है। सुशीला कहती है कि जब से मेरी जगत से शादी हुई है तब से लेकर दउरा में  दूध बेचने के लिए तोरपा पैदल आती थी। तंगी हालात के कारण दोनो बेटियों  पाल पोष कर बड़ा किया । जब शादी करने का वक्त आया तो दिव्यांग होने के कारण कोई शादी नही कर रहा है। दोनो बहने भी अंदर अंदर गई घुट घुट कर जी रही है उनके मन भी आता है कि हमलोग मा बाप पर बोझ बने हुए है क्यों न हमलोग कुछ कर के मा बाप का सहयोग करे। लेकिन किस के आगे हाथ फैलाएं। सभी तो मूक बधिर होने का मजाक उड़ाते है।

दोनो दिव्यांगों सरकार की ओर से कोई लाभ नही मिल रहा

दोनो बहने को अब तक दिव्यांगता पेंशन तक बन पाया है
न ही उनके पास कोई रोजगार  है। भरण पोषण के लिए लोगो के छोटे-मोटे काम कर गुजर बसर करते हैं। दोनो बहने की सरकार से मांग है की सरकार उन्हें बुनाई, कढ़ाई या अन्य किसी प्रकार की ट्रे¨नग देकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए। जिससे वह अपना, अपनी मां व परिवार के अन्य सदस्यों का भरण पोषण करने में सहयोग कर सके। प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगजनों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रखी हैं।

पेंशन के लिए  विभाग इधर उधर दौड़ा रहा

दोनो की माँ सुशीला देवी कहती है कि पहले तो हमलोगों को मालूम ही नही था कि सरकार के द्वारा ऐसे लोगो को सहायता करती है । जब मालूम चला तो कई ऐसे दलाल लोग पैसे की मांग कर पेंशन  बना देने की नाम पर ठगी कर दिए। जब खुद मै तोरपा गया तो कहा कि दिव्यांग सर्टिफिकेट है तो ही बनेगा पेंशन इसके लिए सदर अस्पताल खूंटी जाना होगा वहाँ से बनेगा सर्टिफिकेट बना  देना होगा उसके बाद पेंशन बनेगा। जब सदर अस्पताल गया तो वहाँ भी कहते है रांची जाना होगा । अब बूढ़ी हो गई हूं कहाँ और किधर भटकते रहता इसलिए थक हार कर बैठ गई ।

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