बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट की मेजबानी में एचआरडी सेंटर में वेस्ट टू वेल्थ एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी विषयक दो दिवसीय एलईओ (लर्निंग फ्रोम ईच अदर) कार्यशाला का शुभारंभ 5 जनवरी को हुआ. उदघाटन सत्र में अधिशासी निदेशक (संकार्य) बी के तिवारी, अधिशासी निदेशक (परियोजना एवं अतिरिक्त प्रभार एमएम) सी आर महापात्रा, अधिशासी निदेशक (वित्त एवं लेखा) सुरेश रंगानी, अधिशासी निदेशक (माइंस) जयदीप दासगुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी बी करुणामय, मुख्य महाप्रबंधक (एमआरडी एवं एसएमएस-न्यू) सह आयोजन समिति के अध्यक्ष राजीव धवन सहित मुख्य महाप्रबंधक व अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
कार्यशाला में सेल के सभी संयंत्रों के अलावा आरआईएनएल (विशाखापट्टनम), बीपीएससीएल, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, जियोन वेस्ट मैनेजर प्राइवेट लिमिटेड, डॉ स्लैग कंसल्टिंग सर्विसेस (सिडनी, ऑस्ट्रेलिया), रामचरण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड इत्यादि से विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं.
कार्यशाला के उदघाटन सत्र को ऑन लाइन मोड पर संबोधित करते हुए निदेशक प्रभारी अतानु भौमिक ने कहा कि इस्पात संयंत्रों में इस्पात उत्पादन के क्रम में बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के वेस्ट मटेरियल (कचड़ा) निकलते हैं जिसका पर्यावरण सम्मत तरीके से डिस्पोज़ल करना और उसे उपयोगी सामग्री के रूप में तब्दील कर सर्कुलर इकॉनमी की अवधारणा को सार्थक बनाना एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने विश्वास जताया कि कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ इस विषय पर मंथन कर एक-दूसरे से न सिर्फ सीखेंगे, बल्कि नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल द्वारा इसका इस दिशा में ठोस पहल करने का रोडमैप भी तैयार कर सकेंगे.
अधिशासी निदेशक (संकार्य) श्री तिवारी ने कहा कि इस्पात संयंत्र में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान जेनरेट होने वाला किसी भी प्रकार का वेस्ट दरअसल उपयोगी सामग्री के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है. जिसके लिए कई नई तकनीक लगातार विकसित किए जा रहे हैं. उन्होंने कार्यशाला के प्रतिभागियों से इस विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा करने और इसके उभरते नए समाधानों पर मंथन करने एवं एक-दूसरे से सीखने का आह्वान किया. श्री महापात्रा ने कहा कि इस्पात संयंत्र में वेस्ट टू वेल्थ एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी एक प्रासंगिक विषय है, जिसमें चुनौतियों के साथ ही असीम संभावनाएं भी छिपी है. उदघाटन सत्र के आरंभ में धवन ने सभी का स्वागत किया तथा अंत में महाप्रबंधक (ईसीएस) एनपी श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया.कार्यशाला के दौरान कुल तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें वेस्ट टू वेल्थ एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी विषय पर लगभग पंद्रह पेपर प्रस्तुत किए जा रहे हैं. कार्यशाला में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, एल डी स्लैग यूटीलाईजेशन, मैनेजमेंट ऑफ को- प्रोडक्टस, सर्कुलेरिटी इन स्टील मेकिंग जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की जाएगी. कार्यशाला 6 जनवरी को भी जारी रहेगा.