Garhwa : पंचायत समिति सदस्य के पति योगेंद्र प्रसाद पर फायरिंग मामले में पुलिस ने दो संदेही गुनहगारों को धर दबोचा है। इनके नाम अमित कुमार सिंह उर्फ बबलु सिंह और नितेश कुमार सिंह उर्फ नितु सिंह बताये गये। अमित गढ़वा के विशुनपुर का रहने वाला है। वहीं, नितेश पलामू के गोंगो का रहने वाला है। अमित कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह के खिलाफ अलग-अलग थानों में करीब चार मामले दर्ज हैं। इन दोनों के पास से पुलिस ने एक देशी कट्टा, 0.315 बोर की एक जिन्दा गोली, घटना में प्रयुक्त बाइक, दो मोबाइल फोन और घटना के समय पहना हुआ कपड़ा बरामद किया है। दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। मनरेगा योजना से जुड़े एक लफड़ के चलते वारदात को अंजाम दिया गया था। इस बात का खुलासा आज यानी गुरुवार को गढ़वा पुलिस कप्तान दीपक कुमार पांडेय ने किया।
SP दीपक कुमार पांडेय ने मीडिया को बताया कि बीते सात मार्च को दिन के करीब साढ़े तीन बजे 40 साल के योगेंद्र प्रसाद पर फायरिंग की गयी थी। योगेंद्र चिनियां थाना क्षेत्र के सिगसिगाखुर्द गांव में रहते हैं। बाइक सवार दो अपराधियों ने उन्हें टारगेट कर गोली मारी थी। उन्होंने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचायी थी। गोली योगेंद्र के गले में लगी थी, जिसे अस्पताल में ऑपरेशन कर निकाल दिया गया। फिलहाल वे स्वस्थ हैं।
SP ने आगे बताया कि योगेंद्र प्रसाद और पंचायत उपमुखिया के पति मंदीप यादव के बीच मनरेगा योजना से जुड़ा विवाद लंबे समय से चल रहा था। योगेंद्र ने कई योजनाओं का विरोध किया था, जिस चलते मंदीप यादव को काफी नुकसान हो रहा था। मंदीप यादव योगेंद्र यादव को अपना जानी दुश्मन मानने लगा और उसे रास्ते से हटाने की ठान ली। जेल जाने से पहले योगेंद्र का काम तमाम करने के वास्ते मंदीप ने अपने सहयोगी नितेश सिंह और अमित कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह के साथ मिलकर योगेंद्र की हत्या की साजिश रची। पहले से तय प्लानिंग के अनुसार बीते सात मार्च को अमित कुमार सिंह और नितेश सिंह सफेद रंग की अपाची बाइक से गढ़वा से पेस्का होते हुए चफला आए। बाइक नितेश सिंहचला रहा था और बबलू सिंह हथियार लेकर पीछे बैठा हुआ था। योगेंद्र प्रसाद के आने-जाने वाले रास्ते में ये दोनों इंतजार करने लगे। योगेंद्र प्रसाद ब्लॉक के काम से हमेशा चिनियां ब्लॉक जाते थे। जैसे ही योगेंद्र प्रसाद अपनी बाइक से तहले घाटी के पास जंगली क्षेत्र पहुंचे, तो दोनों ने उनका पीछा किया और पीछे से ही गोली मार दी। वारदात की फैली खबर के बाद इलाके में तहलका मच गया था। तफ्तीश में जुटी पुलिस ने अमित और नितेश को उठा लिया, जिसके बाद दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
गिरफ्तार दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो दोनों ठेकेदारी करने के दौरान एक-दूसरे से सम्पर्क में आये थे। जान-पहचान धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गयी। ठेकेदारी का काम में दोनों एक दूसरे को सहयोग करते थे और इन दोनों का एक दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता था। चूंकि मंदीप यादव बरवाडीह पंचायत की उप मुखिया का पति था, इस चलते नितेश सिंह उर्फ नीतु सिंह ने अमित कुमार सिंह की जान-पहचान एवं दोस्ती मंदीप यादव से करायी थी। वे पंचायत में होने वाले सरकारी योजनाओं में ठेकेदारी के काम में सहयोग करते थे। योगेंद्र प्रसाद से मंदीप यादव का विवाद होने एवं मनरेगा योजना को लेकर हुए आर्थिक नुकसान के बारे में अमित कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह को पता था, जिससे योगेंद्र प्रसाद को रास्ते से हटाने के लिए यह भी शामिल हो गया और योगेंद्र प्रसाद को गोली मारने में शामिल हुआ।
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