कोडरमा : नाटकीय तरीके से एक टेंपो चालक युवक राजेश साव का अपहरण कर बंधक बना कर रखने एवं हत्या के प्रयास किए जाने के एक मामले की सुनवाई के पश्चात अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम गुलाम हैदर की अदालत ने आरोपी सुधीर यादव व विनोद यादव दोनों के पिता बालेश्वर यादव (तीसरी, जिला गिरीडीह) को 364 ए के तहत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 20000 जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि नहीं देने पर 2 साल अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी। वही न्यायालय ने 120(बी) में दोषी पाते हुए 20 साल सश्रम कारावास एवं ₹20000 जुर्माना लगाया। वहीं जुर्माना की राशि नहीं देने पर 2 साल अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी। साथ ही न्यायालय ने 365 आईपीसी में दोषी पाते हुए 5 साल सश्रम कारावास एवं ₹5000 जुर्माना लगाया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। मामला वर्ष 20-10-2014 का है। इसे लेकर नवलशाही थाना कांड संख्या 39/ 2014 एवं सत्र वाद संख्या 77/ 2015 दर्ज की गयी थी।
क्या है मामला
घटना का सूचक मृतक का भाई बबली साव, पिता किशुन साव तीनतारा थाना कोडरमा जिला कोडरमा निवासी ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उसका भाई प्रत्येक दिन की भांति दिनांक 20/10/2014 को सुबह 3:30 बजे अपना टेंपो लेकर भाड़ा कमाने के लिए निकला था। उसी दिन करीब 11:30 बजे दिन में कोडरमा पुलिस द्वारा सूचना मिली कि उसका भाई का उपरोक्त टेंपो लावारिस अवस्था में नवलशाही थाना क्षेत्र में पाया गया है।
जिसे नवलशाही थाना में सुरक्षित रखा गया है। उसके भाई ने अपने सगे संबंधियों के पास फोन कर पता लगाने का प्रयास किया लेकिन उसके भाई का कुछ पता नहीं चला तब उन्होंने पुलिस को दिए बयान में कहा कि सुबह करीब 3:00 बजे के आसपास किसी का फोन आया था उसके बाद उसका भाई घर से निकला था मुझे आशंका है कि उसके भाई का अपहरण अज्ञात लोगों द्वारा कर लिया गया है। वहीं पुलिस ने उक्त मामले में बेहतरीन कार्य करते हुए एक एक कड़ी को जोड़ते हुए मामले के तह तक पहुंची और राजेश साव को अपहरण कर्ताओं के चंगुल से आजाद कराया। राजेश ने न्यायालय को दिए बयान में कहा कि जब वह जयनगर मोड पहुंचा तो दो लोग डोरंडा चलने के लिए कहा। मना करने पर गिड़गिड़ाने लगा।
तब वह डोरंडा चलने के लिए तैयार हुआ और कुछ दूर गया तो एक के मोबाइल पर फोन आया। उसने बताया कि ऑटो रिजर्व हो गया है हम लोग आ रहे हैं। नवलसाही थाना पार करते ही एक जायलो कार उससे जाकर सट गया। कार में चार लोग सवार थे और सभी मिलकर जबरन कार में उसे बैठा लिया और कनपटी पर रिवाल्वर रखकर उसके दोनों हाथ पैर बांध दिए और आंख पर पट्टी बांधकर एक जंगल में ले गए, जहां उसके साथ मारपीट किया गया एवं एक गुफा में ले जाया गया। जहां उसे बांधकर रखा गया। एक बार वह भागने का प्रयास किया लेकिन उसे पकड़ लिया। बाद में पुलिस के प्रयास से वह छुटा। अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक पीपी मंडल ने करते हुए अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा देने की मांग न्यायालय से की। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मंटू सिंह ने दलीलें पेश की और न्यायालय से कम से कम सजा देने का गुहार लगाया। इस दौरान सभी गवाहों का परीक्षण कराया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने एवं अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।