रांची: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी और रांची जिला बल के सिपाही सचिन पाठक पर महिला ने कई संगीन आरोप लगायी है. पीड़ित महिला आदिवासी समुदाय से आती है. सुनील तिवारी और सचिन पाठक से त्रस्त होकर पीड़ित आदिवासी महिला ने लिखिति शिकायत अनुसूचित जाति/जनजाति के विशेष न्यायालय में दी. जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर दोनों के खिलाफ अरगोड़ा थाना में 16 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज हुई है. एसआई रैंक के अधिकारी को मामले की जांच सौंपी गई है. पीड़िता ने रांची पुलिस से खुद की और गवाहों की भी सुरक्षा को लेकर आग्रह किया है कि सभी सुरक्षित रहे.
पीड़िता ने क्या लिखा एफआईआर में
पीड़िता ने सुनील तिवारी और सचिन पाठक पर कई आरोप लगाते हुए अरगोड़ा थाना में बीते दो दिन पहले एफआईआर दर्ज करायी है. पीड़िता ने अपनी व्यथा लिखी है कि मेरा शारीरिक, मानसिक एवं अर्थिक शोषण सुनिल तिवारी नामक व्यक्ति द्वारा किया गया था. इस मामले में सुनील तिवारी के विरूद्ध अरगोड़ा थाना काण्ड संख्या-220/21 दर्ज करवाई थी. सुनील तिवारी अपने आप को राजनैतिक सलाहकार के रूप में बताते हैं और उनका कहना है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता के संपर्क में हैं. इनका संबंध कई राजनैतिक दलों के वरिष्ट अधिकारियों से है. मेरे द्वारा दर्ज काण्ड को पुलिस द्वारा अनुसंधान किया गया था और मेरे द्वारा लगाये गये सभी आरोपो को सही पाया गया एवं अनुसंधान पुर्ण करने के बाद उक्त शोषक सुनील तिवारी आरोप पत्र में सही पाया गया और सुनील तिवारी को गिरपतार भी किया गया था. लंबे समय के बाद सुनील तिवारी के द्वारा झारखण्ड उच्च न्यायालय से इस शर्त पर बेल प्राप्त हुआ था कि ये ग्वाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और पुलिस का पुरा सहयोग करेंगे. परन्तु इसके ठीक उल्टा सुनील तिवारी लगभग 3 वर्षों से मेरे विरूद्ध साजिस रच रहें हैं और मुझे झुठे मामलो में फसाने का प्रयास कर रहें हैं. जैसा की मुझे कई व्यक्तियों के द्वारा बताया गया है कि इस काण्ड में सुनील तिवारी के द्वारा राँची पुलिस के एक सिपाही सचिन पाठक का भी उपयोग किया जा रहा है. सचिन पाठक एक उदण्ड किस्म के सिपाही हैं. जो सुनील तिवारी के स्वजातिय है और जाति के नाम पर सुनील तिवारी को मदद करते हैं. मुझे पता है कि सचिन पाठक का प्रशासनिक दृष्टीकोण से राँची जिला से रेल धनबाद में पदस्थापन किया गया था, परन्तु इसने अपनी सुनील तिवारी के बल पर और मेरे केस को प्रभावित करने के उद्देश्य से और मेरे केस के ग्वाहो को डराने के उद्देश्य से पुनः अपनी प्रतिनियुक्ति राँची जिला में करयाई है. पैसा एवं पैरवी के बल पर राँची जिला में हीं बने रहते हैं और यहाँ पर केस के ग्वाहों को डराने धमकाने का कार्य करते रहते हैं. मुझे यह भी जानकारी मिली है कि सचिन पाठक के द्वारा खूंटी जिला में रहने वाली एक आदिवासी महिला जिसका नाम लक्ष्मी बाखला है, से भी केस को मैनेज करने के लिए संपर्क किया गया है. सुनील तिवारी को लगता है कि लक्ष्मी घाखला को डरा धमका देगें तो इनके विरूद्ध ग्वाही नहीं देगें और इस कारनामें से बच जाएगे. साथ हीं मेरे उपर भी केस को मैनेज करने के लिए तिवारी द्वारा कोशिश किया जा रहा है. मुझे पुरा विश्वास है कि अपने-आपको केस से बचने के लिए सुनील तिवारी मेरे उपर झूठे इल्जाम लगाकर किसी काण्ड में फंसाने का काम कर रहे है. साथ-साथ सुनील तिवारी एवं सचिन पाठक मेरे द्वारा दर्ज कराये गये प्राथमिकी में ग्बाहों कने डराने या प्रलोभन देने का भी प्रयास करते रहे है और यह भी बताना चाहूंगी कि मेरे केस में दिनाक 30 जून 2022 को ही सुनीन्न तिवारी के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया गया था. परन्तु ना जाने किन्न कारणों से 2 वर्ष बितने के बाद भी ट्रायल प्रबंध नहीं किया गया. सुनील तिवारी कई व्यक्तियों को बताते चलते है कि मैंनें न्यायालय को भी मैनेज कर लिया है और मैं इस केस का ट्रायल शुरू होने नहीं दूँगा. इसके अलावा भी कई आरोप सुनील तिवारी और सचिन पाठक पर पीड़िता ने लगायी है.