दुमका : झारखण्ड की उपराजधानी दुमका के दर्जनों आदिवासी महिला छात्रावास में वर्षों से कई समस्याएं हैं, जिसका निराकरण अब तक नहीं हो पाया है. हॉस्टल में रसोईया, नाईट गार्ड सहित तमाम समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र छात्राएं पुराना समाहरणालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. ‘घेरा डालो डेरा डालो’ कार्यक्रम के तहत इसी स्थल पर सभी छात्र चूल्हा बर्तन लेकर बैठ गए हैं. बता दें कि दुमका के कई आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल में कई बार घटनाएं हो चुकी है, सिलिंडर फटने से लेकर छेड़खानी और चोरी जैसी घटनाएं होने के बाद हर बार प्रशासन की तरफ से समस्या का समाधान करने का आश्वासन तो मिला लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. जिससे आक्रोशित छात्र दुर्गा पूजा जैसे त्योहार में धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो गए हैं.

इनलोगों का कहना है कि 23 साल का झारखण्ड हो गया. आदिवासी के नाम पर सभी दल राजनीति करते है. आदिवासी छात्राएं तमाम समस्या से जूझ रही है जिसको देखने और सुनने वाला कोई नहीं है. सरकार औऱ प्रशासन के प्रति लोगों का आक्रोश है, क्योंकि देश के भविष्य का निर्माण करने में योगदान करने वाली राज्य के संथाल परगना की छात्राएं आदिवासी मुख्यमंत्री के उपेक्षा की शिकार हैं.

इसे लालफीताशाही कहें या सरकारी उदासीनता कहें कि आज तक गर्ल्स हॉस्टल में सरकार नाईट गार्ड की बहाली नहीं कर सकी ना ही रसोइया की बहाली हुई. बच्चियां खुद से खाना बनाती हैं फिर पढ़ाई करती हैं, जबकि कल्याण विभाग में इन सब व्यवस्था को बहाल करने का प्रावधान है. व्यवस्था के अभाव में खुले आसमान के नीचे बैठकर धरना के साथ पढ़ाई कर रहे हैं.

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