Joharlive Team

  • मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक मुड़मा जतरा के समापन समारोह में आदिवासी समाज के शक्ति स्थल में शीश नवा नमन किया*
  • प्रतीक चिन्ह(रलपा, चलपा, घोड़ा, हाथी) के साथ घोल में नाचते-गाते-झूमते शक्ति स्थल की परिक्रमा लोगों ने की, दिखी आदिवासी परंपरा और संस्कृति की अद्भुत झलक

मांडर/रांची। आदिवासी समाज के शक्ति स्थल पर आकर धन्य हुआ। शक्ति स्थल पर शीश नवा कर जनकल्याण हेतु शक्ति मांगी है। गरीबों का सर्वांगीण विकास सरकार की प्राथमिकता है। मेला मीठास लेकर आता है, यह मेल जोल का माध्यम है। साथ ही परंपरा एवं संस्कृति से रूबरू होकर हम गौरवान्वित भी होते हैं। ये बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐतिहासिक मुड़मा मेला के समापन समारोह में बतौर मुख्य अथिति कही।

परंपरा एवं संस्कृति को है सहेजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी परंपरा और संस्कृति को हमें मिलकर सहेजना है। मुड़मा मेला को राज्य सरकार ने राजकीय मेला का दर्जा दिया है, जिसकी अधसूचना जारी हो चुकी है। हमें अपनी आदिवासी संस्कृति और परंपरा पर गर्व है और हमें इसे अक्षुण्ण रखना है। नई पीढ़ी के युवा आगे बढ़ कर अपनी संस्कृति को सहेजने का काम करें। इस संस्कृति पर हमला नहीं होने दें।

बदलाव आया और भी बदलाव लाएंगे, दो माह में बनेगा पथ

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से पूर्व मुड़मा मेला की स्थिति का आंकलन करें। सरकार ने इस क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास किया है। यहां की समस्याओं को जल्द दूर किया जाएगा। दो माह के अंदर शक्ति स्थल तक पहुंचने वाले पथ का निर्माण होगा।

आदिवासी बहुल क्षेत्र है सरना कोड लागू करने की मांग है

मांडर की विधायक श्रीमती गंगोत्री कुजूर ने कहा कि यहां सदियों से चली आ रही संस्कृति का निवर्हन करते आ रहें हैं। देश विदेश के लोग यहां आते हैं। विगत 5 वर्ष से स्वच्छ वातावरण में मेला का संचालन हो रहा है। सरकार ने यहां विकास का कार्य किया है। मांडर आदिवासी बहुल क्षेत्र रहा है। आदिवासी सरना कोड लागू करने की मांग सरकार से कर रहें हैं। मुख्यमंत्री अवश्य इस दिशा में पहल करेंगे।

धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए इस जतरा की परम्परा और ऐतिहासिकता से अवगत कराया।

इस अवसर पर मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर, धर्मगुरु बंधन तिग्गा, राँची के उपायुक्त राय महिमापत रे और वरीय पुलिस अधीक्षक अनीश कुमार गुप्ता, रांची पड़हा जतरा समिति के अध्यक्ष जगराम उरांव, सचिव रनथू उरांव, कमले उरांव, ओडिसा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के विभिन्न जिलों से आये भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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