रांची : सरकारी हॉस्पिटलों में टेंडर के बिना कोई काम नहीं होता. छोटे काम के लिए भी टेंडर करने की प्रक्रिया है. इस चक्कर में कई बार मरीजों का इलाज प्रभावित होता है या फिर देर से इलाज शुरू होता है. लेकिन एक हॉस्पिटल ने मरीजों के हित में ऐसा इंतजाम किया है, जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित भी नहीं होगा और ट्रीटमेंट में देर भी नहीं होगी. जी हां, हम बात कर रहे हैं सदर हॉस्पिटल सुपरस्पेशियलिटी की. जहां पर टेंडर करके दवा सप्लाई के लिए एजेंसियों को सेलेक्ट कर लिया गया है. ये लोग शॉर्ट नोटिस में दवा और इंप्लांट की सप्लाई करते हैं.
ऐसे हो रही दवा व इंप्लांट सप्लाई
हॉस्पिटल में कई सुपरस्पेशियलिटी विभाग चल रहे हैं. मरीजों की कीमो से लेकर सर्जरी भी शुरू कर दी गई है. नई व्यवस्था के तहत हॉस्पिटल में जब एडमिट मरीजों को तत्काल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है तो मरीज का असेस्मेंट करने के बाद डॉक्टर जरूरी दवाओं की लिस्ट बना देते हैं और इसे सप्लायर ग्रुप में डाल दिया जाता है. इसके कुछ ही घंटों के अंदर हास्पिटल में दवा सप्लाई कर दी जाती है. इमरजेंसी दवाएं तत्काल भेजी जाती हैं, जिससे मरीज को इलाज के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता. वहीं, हॉस्पिटल प्रबंधन को भी बड़ा टेंडर करने का झंझट नहीं है. जैसी जरूरत वैसी सप्लाई के आधार पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
आयुष्मान और मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना
हॉस्पिटल में ज्यादातर मरीज आयुष्मान और मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना वाले पहुंचते हैं, जिन्हें इलाज कराने में पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती. बीमारियों के हिसाब से पैकेज तय है. ऐसे में हॉस्पिटल प्रबंधन को दवाएं व इंप्लांट मंगाने में दिक्कत नहीं होती. चूंकि टेंडर में एल-1 एजेंसी को फाइनल कर लिया गया है, जो मार्केट रेट से सबसे सस्ती दर पर चीजें सप्लाई करती है.
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