खूंटी : तोरपा में पांच वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म के मामले की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में खूंटी के पुलिस अधीक्षक अमन कुमार ने तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह निलंबित कर दिया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि पीड़िता बच्ची के परिजनों के साथ दुव्यवहार करना व पीड़ित बच्ची के इलाज की तत्काल व्यवस्था नहीं करना घोर उदंडता, लापरवाही, मनमानेपन आचरण, स्वेच्छाचारिता व एक अयोग्य पुलिस पदाधिकारी होने का परिचायक है। थाना प्रभारी के इस आचरण से आम जनता के बीच पुलिस की छवि धूमिल हुई है। तोरपा थानेदार मुन्ना कुमार सिंह पर पीड़ित परिवार के साथ दुव्यवहार करने का आरोप लगा। इसके अलावा पीड़ित बच्ची के इलाज के लिए तत्काल कोई व्यवस्था नहीं की गई। कार्रवाई के संबंध में जारी आदेश में कहा गया है कि निलंबन अवधि में इन्हें जीवन यापन भत्ता देय होगा। उनका मुख्यालय पुलिस केंद्र, खूंटी रहेगा।
इस संबंध में पीड़ित बच्ची की मां ने शिकायत पत्र सौंपा था। जिले के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से मिलकर थाना प्रभारी पर अभद्र व्यवहार करने और बच्ची को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया। कहा गया था कि 23 अप्रैल को उसकी पांच वर्षीय बेटी पड़ोस के दुकान में फ्रूटी लेने गई थी। थोड़ी देर बाद रोती हुई घर आई। पूछने पर बच्ची ने बताया कि दुकान में एक नाबालिग लड़के ने फ्रूटी देने के बहाने उसके साथ दुष्कर्म किया।
उस समय उनकी बच्ची दर्द से कराह रही थी। इसके बाद पीड़ित बच्ची की मां अपने पति, सास व कुछ अन्य लोगों के साथ लगभग 02.30 बजे बच्ची को लेकर तोरपा थाना गई। तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह से मिलकर घटना के बारे में बताया। आरोप है कि थाना प्रभारी ने पीड़ित पक्ष को डांटना शुरू किया। थाने से भगा। थाना प्रभारी ने अपशब्द का प्रयोग किया। पीड़ित परिवार केस दर्ज करने के लिए थाना पर ही लगभग दो घंटे बैठा रहा। इस बीच उनकी बच्ची (दुष्कर्म पीड़िता) दर्द से रोते-चिल्लाती रही। बच्ची को कोई देखने वाला नहीं आया। न ही इलाज का प्रबंध किया गया।
CWC ने भी थानेदार पर लगाया था आरोप
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष तनुश्री सरदार ने भी तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह पर आरोप लगाया। बच्ची का हाल पूछने पर थाना प्रभारी ने CWC से बात करने से मना कर दिया। थाना प्रभारी की ओर से बच्ची के इलाज पर ध्यान नहीं दिया गया। पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित थाने में मामला पहुंचते ही बाल कल्याण समिति के समक्ष पीड़िता को संबंधियों के साथ प्रस्तुत किया जाना है। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।