पटना : वक्फ बिल के मुद्दे पर भाजपा का रुख अब और स्पष्ट हो गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच अपने भाषण में इस विषय पर अपनी कड़ी टिप्पणी की. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा मुख्यालय में दिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने वक्फ बोर्ड का मुद्दा उठाया और कहा कि संविधान में वक्फ बोर्ड का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने देश की संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था, जो एक बड़ी गलती थी.
पीएम मोदी के बयान पर कड़ी आपत्ति
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीअत उलमा-ए-हिन्द की कॉन्फ्रेंस में मौलाना अरशद मदनी ने कड़ी आपत्ति जताई. पटना के गांधी मैदान में आयोजित कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री का एक अविश्वसनीय बयान था कि वक्फ कोई चीज नहीं है. मदनी ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री मोदी कल को यह भी कहेंगे कि नमाज का दस्तूर नहीं है?” उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ में संशोधन के खिलाफ उनका विरोध है और यह कि जो अल्लाह ने फरमाया वह सही है, और जो रसूल ने फरमाया वह दस्तूर है.
कांग्रेस के पहले से लड़ रहे स्वतंत्रता संग्राम
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जमीअत उलमा-ए-हिन्द का योगदान कांग्रेस से बहुत पहले का था, और कांग्रेस का गठन अंग्रेजों के साथ तालमेल बनाने के लिए हुआ था, न कि देश की स्वतंत्रता के लिए. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कोई भी ताकत वक्फ को खारिज नहीं कर सकती, और उनका यह दावा था कि भारतीय संविधान में उनका योगदान है, जो 145 साल पुराना है.
बुल्डोजर एक्शन पर भी दी प्रतिक्रिया
इसके अलावा, बुल्डोजर एक्शन पर भी मदनी ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसी एक व्यक्ति द्वारा किए गए गलत काम की सजा पूरे परिवार को नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुसलमानों की कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि यह फैसला हिंदू जजों ने दिया था, और उन्हें न्याय मिला.
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