रांची : राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल रिम्स में स्टेट आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेश (सोटो) की दो साल पहले शुरुआत हुई थी. जिसका उद्देश्य ही था कि लोगों को ऑर्गन डोनेशन के लिए जागरूक किया जाए और इस काम में विभाग सफल भी हो रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभाग खुलने के बाद से अबतक 631 लोगों ने ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई है. जिसमें आंख, किडनी व अन्य ऑर्गन डोनेशन के लिए लोगों ने फार्म भरकर रिम्स के सोटो में जमा कराया है.

लोगों को जागरूक कर रही टीम

एक अधिकारी ने बताया कि हमलोग समय-समय पर पूरे हॉस्पिटल में घूमकर मरीजों और उनके परिजनों को जागरूक करते है. इसके अलावा ऑन स्पॉट भी लोगों से आनलाइन फॉर्म भरवाया जा रहा है. जिससे कि डेथ होने की स्थिति में परिजन विभाग को सूचना दे. सूचना मिलते ही सोटो की टीम घर पहुंचती है. जिसमें केवल आई डोनेशन हो सकता है. आयुष्मान भारत के अंतर्गत सेंट्रलाइज वेबसाइट है. जिसपर लोग आर्गन डोनेशन के लिए अप्लाई कर सकते है. आंखों के अलावा अन्य आर्गन के लिए पेशेंट का आर्टिफिशियल सपोर्ट पर होना चाहिए या फिर वेंटीलेटर पर. रोड एक्सीडेंट वाले मरीजों या फिर सिर में चोट लगने वाले मरीजों के आर्गन ट्रांसप्लांट किए जा सकते है. जिन्हें कि ब्रेन डेथ घोषित किया जा चुका हो.

संस्था से जुड़कर कर रहे जागरूक

सोटो की ओर से शहर में लगने वाले बड़े मेले में एक अलग स्टॉल लगाया गया था. जहां पर लोग ऑर्गन डोनेशन की जानकारी ले रहे थे. स्टॉल पर ऑर्गन डोनेशन के लिए फॉर्म भी भरने की इच्छा जताई थी. इतना ही नहीं लोगों को सोटो की ओर से यह भी जानकारी दी जा रही है कि ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में शव को ज्यादा नुकसान नहीं होता. एक्सपर्ट तकनीकी रूप से ऑर्गन निकालते है. वहीं लोगों को बताया जा रहा है कि मौत के बाद भी कोई आपके ऑर्गन के सहारे जिंदा रह सकता है. फिलहाल अलग-अलग संस्था के साथ जुड़कर सोटो आर्गन डोनेशन के लिए अवेयर कर रहा है.

ब्रेन डेथ की घोषणा करेगा रिम्स

रिम्स राज्य का पहला हॉस्पिटल बन गया है, जहां अब ऑर्गन डोनेशन में झंझट नहीं होगी. वहीं किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता साफ हो गया है. इसके अलावा हार्ट, पैनक्रियाज व लीवर ट्रांसप्लांट भी भविष्य में किए जाने पर काम हो रहा है. ऑर्गन डोनेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से रिम्स को सबसे पहले मरीज के ब्रेन डेथ की घोषणा करने की अनुमति दे दी गई है, जिससे अब ब्रेन डेथ मरीज का नियमानुसार ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. किसी भी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट ब्रेन डेथ के समय ही किया जा सकता है. बता दें कि किसी व्यक्ति को ब्रेन डेथ घोषित करने से पहले कई प्रकार के टेस्ट करने के बाद पुष्टि की जाती है. यह परीक्षण छह घंटे के अंदर चार डाक्टरों के पैनल द्वारा किया जाता है.

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