Joharlive Team
देवघर। बसंत पंचमी 16 फरवरी को मनाया जाना है। इस दिन बाबा को तिलक चढ़ाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन बाबा का विवाह होता है। परंपरा के अनुसार बसंत पंचमी पर बाबा को तिलक चढ़ाने हजारों की संख्या में मिथिलांचल से भक्त देवघर पहुंच चुके हैं। मिथिला से आये भक्त बसंत पंचमी के दिन बाबा का तिलक कर अबीर चढ़ाते है।
इसे लेकर अभी से ही बाबा नगरी में मिथिलांचल से भक्तों का आना प्रारंभ हो गया है। बाबा पर तिलक चढ़ाने के साथ ही मिथिला की होली भी प्रारंभ हो जाएगी। देवनगरी का यह सबसे प्राचीन मेला माना जाता है। विशेष प्रकार के कांवर, वेशभूषा और भाषा से अलग पहचान रखने वाले ये मिथिलावासी अपने को बाबा का संबंधी मानते हैं। इसी नाते बसंत पंचमी के दिन बाबा के तिलकोत्सव में शामिल होने देवघर आते हैं। इन्हें तिलकहरु कहते है। तिलकोत्सव मनाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
मिथिलावासियों का मानना है कि माता पार्वती, सती, एवं माता सीता हिमालय पर्वत की सीमा की थीं और मिथिला हिमालय की सीमा में है और माता पार्वती मिथिला की बेटी है। इसलिए मिथिलावासी लड़की पक्ष की तरफ से आते हुए तिलकोत्सव मनाते हैं। कई टोलियों में आये ये मिथिलावासी शहर के कई जगहो पर इकठ्ठा होते हैं। मिथिलावासी बड़ी श्रद्धा से पूजा-पाठ, पारंपरिक भजन-कीर्तन कर बसंत पंचमी के दिन बाबा का तिलकोत्सव मनाते हैं। इसी खुशी में आपस में अबीर-गुलाल खेल कर खुशियां बांटते हैं और एक दुसरे को बधाइयां देते हैं।