दुमका : दुमका की एक अदालत ने सांसद निधि योजना के तहत स्वीकृत सरकारी योजना की राशि गबन करने से संबंधित दो मामले में दोषी एक पूर्व पंचायत पर्यवेक्षक को तीन – तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है।
दुमका के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार यादव की अदालत ने सोमवार को जामा थाना कांड संख्या 114/2005 में भारतीय दंड विधान (भादवी) की धारा 409 के तहत 42 हजार रुपए सरकारी राशि का गबन करने के मामले में दोषी पाकर नामजद आरोपी और पूर्व पंचायत पर्यवेक्षक वीरेंद्र राम को तीन साल के सश्रम कारावास के साथ एक लाख रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनायी। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर तीन महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
इस मामले में सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक रामंिककर पांडेय ने पैरवी की और बहस में हिस्सा लिया। अभियोजन पक्ष की ओर से सुनवाई के दौरान न्यायालय में 7 गवाह एवं 13 कागजी साक्ष्य पेश किये गये।
वहीं, न्यायालय ने जामा थाना के कांड संख्या 115/2005 में भी लगभग 99 हजार रुपए की सरकारी राशि गबन करने के मामले में आरोपी पंचायत पर्यवेक्षक वीरेंद्र राम को ही भादवि की धारा 409 के तहत दोषी पाकर तीन साल सश्रम कारावास और दो लाख रुपए क्षतिपूर्ति अदा करने की सजा सुनायी। क्षतिपूर्ति की राशि अदा नहीं करने पर तीन महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। इस मामले में सरकार की ओर से न्यायालय में छह गवाह के साथ साक्ष्य के तौर पर 16 कागजी दस्तावेज पेश किये गये। सहायक लोक अभियोजक श्री पांडेय से मिली जानकारी के मुताबिक, जामा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी निरज कुमार सिंह के लिखित शिकायत पर दो अलग अलग योजनाओं की राशि गबन करने को लेकर पूर्व पंचायत पर्यवेक्षक वीरेंद्र राम के खिलाफ जामा थाना में कांड संख्या 114/2005 और 115/2005 दो अलग- अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। जामा थाना कांड संख्या 114/2005 में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, सांसद निधि से जामा प्रखंड क्षेत्र के गादीदेवली वाद उन्नयन योजना 2001-02 योजना स्वीकृत की गयी थी जिसकी प्राक्कलित राशि 6 लाख 11लाख रुपए थे। नामजद आरोपी द्वारा उक्त योजना के तहत स्वीकृत राशि के विरुद्ध अग्रिम राशि के रुप 5.32 लाख रुपए का भुगतान प्राप्त कर लिया गया, लेकिन महज 4 लाख .90 हजार रुपए का कार्य दिखा कर 42 हजार रुपए सरकारी राशि का गबन कर लिया गया।
वहीं, जामा थाना कांड संख्या 115/2005 में भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, 2001-2002 में सांसद निधि से जामा प्रखंड क्षेत्र के बेलकूपी से तपसी आदिवासी टोला तक सड़क व पुलिया निर्माण के लिए प्राक्कलित राशि 4 लाख 53 हजार रुपए की योजना स्वीकृत की गयी थी। इस स्वीकृत योजना के तहत आरोपी पंचायत पर्यवेक्षक वीरेंद्र राम ने अग्रिम राशि के रुप में 3 लाख 65 हजार रुपया भुगतान प्राप्त कर लिया लेकिन महज 2 लाख 65 हजार रुपए का काम दिखाकर लगभग 99 हजार रुपए सरकारी राशि का गबन कर लिया।