झारखंड

तीन एजेंसियां हो गईं फेल, अब नई एजेंसी की तलाश में रांची नगर निगम

रांची : रांची नगर निगम के जिम्मे शहर की साफ-सफाई है। इसके लिए रांची नगर निगम लगातार नए-नए प्रयोग भी करता रहा है। इसके बाद भी शहर पूरी तरह से कचरा मुक्त नहीं हो पाया है। वहीं नगर निगम के लिए काम करने वाली 3 एजेंसियों ने भी आजतक केवल आईवाश करने का ही काम किया है। इसके लिए रांची नगर निगम ने करोड़ों रुपए फूंक दिए है। एक बार फिर से कचरे को अलग-अलग करने के लिए नई एजेंसी की तलाश की जा रही है, जिसका टेंडर अगले हफ्ते होना है। अब देखना यह होगा कि इस बार एजेंसी इस काम में सफल हो पाती है या फिर पहले की एजेंसियों की तरह ही करोड़ों रुपए फूंकने के बाद रांची नगर निगम एजेंसी को टर्मिनेट करता है।

निगम के हाथों में है सफाई की कमान
अब तक रांची नगर निगम तीन एजेंसियों को डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के काम से हटा चुका है। अंतिम कंपनी सीडीसी थी, जिसे मार्च 2022 में हटाया गया था। इसके बाद नगर निगम खुद से कचरे का निपटारा कर रहा है। लेकिन अब कचरा न उठाने की लगातार शिकायत मिलने के बाद इसमें सुधार किया जा रहा है। इसी के तहत नई एजेंसी की तलाश की जा रही है। ये एजेंसी घरों से निकलने वाले कचरे को सेंटर पर अलग करेगी। इसके बाद कचरे का निपटारा किया जाएगा।
2014 से एजेंसियों को मिल रहा काम
रांची नगर निगम अब तक कई कंपनियों को टर्मिनेट कर चुका है। सबसे पहले निगम ने मई 2014 में एटूजेड कंपनी को शहर की साफ.-सफाई का जिम्मा सौंपा था। लेकिन डेढ़ साल में कंपनी ने हाथ खड़ा कर दिया। फिर साल 2016-17 में सफाई व्यवस्था का जिम्मा एस्सेल इंफ्रा को सौंपा गया, लेकिन यह कंपनी अपने सफाई कर्मियों को समय से वेतन देने में असफल रही। इस वजह से इसे कचरा उठाने के काम से टर्मिनेट कर दिया गया। रांची नगर निगम ने इसके बाद सीडीसी कंपनी को शहर में डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन का जिम्मा दिया, लेकिन यह कंपनी भी निगम की शर्तों पर खरा नहीं उतर पाई। जिस वजह से इसे भी हटा दिया गया। वहीं एक एजेंसी जोंटा इंफ्रा को भी सीडीसी के साथ ही कचरा ट्रांसफर का काम दिया गया, जो स्मार्टबिन का कचरा और सामान्य कचरा झिरी भेजने का काम कर रही है।
1000 करोड़ फूंके सफाई पर
दो दशक से रांची को स्वच्छ बनाने की कवायद जारी है। पहले रांची नगर निगम, फिर प्राइवेट कंपनी एटूजेड और उसके बाद एस्सेल इंफ्रा को शहर की सफाई का जिम्मा दिया गया। इसके बाद नगर निगम ने सीडीसी और जोंटा इंफ्रा जैसी एजेंसियों पर जनता के लगभग एक हजार करोड़ रुपए फूंक दिए। लेकिन शहर अभी भी गंदा है। बता दें कि हर दिन शहर से 600 मीट्रिक टन कचरा निकलता है।

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