Johar live desk: दिल्ली यूनिवर्सिटी यानी DU की एक छात्रा बिस्मा ने हाल ही में अपने अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसने बहुत से छात्रों के दिलों की आवाज बन गई। हंसराज कॉलेज में इंग्लिश ऑनर्स की फर्स्ट ईयर की छात्रा बिस्मा ने अपने कॉलेज में टॉप किया था, लेकिन इसके बावजूद उसे इंटर्नशिप नहीं मिल रही है।
बिस्मा ने अपने पोस्ट में लिखा कि उसे समझने में थोड़ा वक्त लगा कि अकेले नंबर काफी नहीं होते, असली फर्क स्किल होने से पड़ता है। उसने बताया कि उसके प्रोफेसर्स, टीचर्स और रिश्तेदारों ने हमेशा कहा कि पढ़ाई करो, पढ़ाई ही काम आएगी। लेकिन जब उसने असल दुनिया में कदम रखा, तो समझ आया कि कंपनियां उन लोगों को नहीं ढूंढतीं जो सिर्फ अच्छे नंबर लाएं, बल्कि उन्हें चाहिए ऐसा इंसान जो काम कर के दिखा सके।
बिस्मा ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “मैं टॉपर हूं, लेकिन मुझे इंटर्नशिप नहीं मिल रही। मुझे ये समझने में थोड़ा वक्त लगा कि अकेले नंबर काफी नहीं होते, असली फर्क स्किल होने से पड़ता है।”
बिस्मा की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया और हजारों छात्रों और प्रोफेशनल्स ने अपनी कहानियां शेयर कीं। कई लोगों ने बिस्मा की बात से सहमति जताई और अपने अनुभव साझा किए। एक यूजर ने लिखा, “बिलकुल सही कहा, मैं खुद भी इसी दौर से गुजरा हूं।” दूसरे ने कहा, “मैं पढ़ाई में बस ठीक-ठाक था, लेकिन मैंने समय के साथ प्रैक्टिकल चीजें सीखीं और वहीं असली काम आए।”
इस पोस्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है – शिक्षा प्रणाली में स्किल डेवलपमेंट की कमी। बिस्मा की कहानी उन कई छात्रों की दास्तां है जो अच्छे नंबर लाने के बावजूद रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अब सवाल यह है कि क्या हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरत है? क्या हमें स्किल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है? इन सवालों पर चर्चा जारी है और बिस्मा की पोस्ट ने इस चर्चा को नई दिशा दी है।