सहारनपुर: बिल्कुल सही कहा है किसी ने “कभी कभी हमे खुद नहीं पता होता की हमारे ज़िंदगी में कौन किस रूप मे आ जाए और हमारे अंधेरे भरे ज़िंदगी को रौशन कर जाता  है”।कुछ इसी तरह नेत्रहीन बच्चों के जिंदगी में रोशनी की एक किरण लेकर सहारनपुर के संजय शर्मा आए हैं. हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के नेत्रहीन एवं विकलांग कल्याण शिक्षण संस्थान की. जिसको पिछले लगभग 12 साल से संजय शर्मा चला रहे हैं. संजय शर्मा को शुरू से ही नेत्रहीन विकलांग बच्चों की मदद करना अच्छा लगता था. वह दूसरों की संस्थाओं में जाकर बच्चों की मदद किया करते थे, फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपनी ही एक ऐसी संस्था बना ली जाए, जिसमें नेत्रहीन और विकलांग बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाए और उनकी जिंदगी में रोशनी भर दी जाए.

संस्था ने दिया आगे बढ़ने का हौसला 

संजय शर्मा बताते है की उन्होंने अपना जमीन खरीदकर इन बच्चों के लिए स्कूल बनवाया और वो यह भी कहते है की विकलांग या नेत्रहीन होना कोई दोष नहीं। इन मासूम नेत्रहीन एवं विकलांग बच्चों का सारा खर्च लोगों द्वारा दिए गए दान से चलता है, बच्चों को ब्रेल लिपि के जरिए पढ़ाई, गायन, कंप्युटर इत्यादि का कोर्स कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार की तरफ से उनको बच्चों के लिए किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं दी गई. 17 से 18 बच्चे बैंक, रेलवे, स्टॉफ सिलेक्शन कमिशन अन्य जगह पर काम कर रहे हैं. उनका मकसद ऐसे बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है. संस्थान में बच्चों का खाना, पीना, रहना, पढ़ाई करना सब फ्री है. फिलहाल संस्थान में 15 बच्चे और 3 टीचर रहते हैं.

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