Johar Live Desk : SGPGI कैंपस, लखनऊ में संचालित 35 वर्ष पुराना नर्सरी स्कूल व केन्द्रीय विद्यालय बंद होगा। मिली जानकारी के अनुसार ऑडिट में ज्यादा खर्च की आपत्ति के बाद संस्थान प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। संस्थान निदेशक के निर्देश पर नर्सरी स्कूल और केन्द्रीय विद्यालय ने पहली और 11 वीं में नए दाखिले पर रोक लगा दी है। संस्थान प्रशासन स्कूलों के भवन का उपयोग दूसरे कामों में करने की बात कह रहा है। वहीं कर्मियों का कहना है संस्थान प्रशासन पीपीपी मॉडल पर निजी स्कूल संचालित करने की तैयारी में है।
SGPGI की स्थापना के बाद संस्थान के डॉक्टर और अन्य स्टाफ के बच्चों की पढ़ाई के लिये परिसर में केन्द्रीय विद्यालय और नर्सरी स्कूल की स्थापना की गई थी। पहला सत्र वर्ष 1987-88 में शुरू हुआ। स्कूल में शिक्षकों के वेतन से लेकर भवन आदि का खर्च PGI उठा रहा है। इन दोनों स्कूलों में PGI स्टाफ के अलावा बाहर के सेना व दूसरे केन्द्रीय सुरक्षा बल के अलावा अन्य के 712 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनमें PGI स्टाफ के बच्चों की संख्या बमुश्किल 150 होगी। बाकी के बच्चे संस्थान के बाहर से पढ़ने आते हैं। संस्थान प्रशासन के निर्देश पर स्कूलों ने नए दाखिले पर रोक लगा दी है। ऑडिट में दोनों स्कूलों में सालाना करीब सात करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। इसका भुगतान PGI कर रहा है।
स्कूल बंद न किए जाएं संस्थान के कर्मचारी संगठनों ने स्कूल बंद किये जाने का विरोध किया है। इनका कहना है कि कई वर्ष से संस्थान में खाली पदों पर भर्तियां नहीं हुई थी। जिसकी वजह से बच्चों की संख्या कम हो गई थी। दो वर्ष के भीतर संस्थान के कई कैडर में ढ़ाई हजार कर्मियों की भर्तियां की गई है। अब बच्चों की संख्या बढ़ेगी।
बच्चों की पढ़ाई पर संकट
नए दाखिले बंद होने से कक्षा एक और 11 में नए बच्चों के दाखिले नहीं होंगे। नर्सरी स्कूल और केवी में 10 वीं पास होने वाले छात्र और छात्राओं के आगे पढ़ाई का संकट आ गया है। अभिभावकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उनका कहना है स्कूल के संघर्ष किया जाएगा।स्कूल प्रशासन का कहना है कि यह बच्चे किसी दूसरे केन्द्रीय विद्यालय में दाखिले ले सकेंगे।
वहीं SGPGI निदेशक डॉ. आरके धीमान ने कहा है कि केन्द्रीय विद्यालय में संस्थान के स्टाफ के बच्चों की संख्या 10से कम है। दोनों स्कूलों के शिक्षक व कर्मियों के वेतन समेत भवन के रखरखाव में हर वर्ष सात करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। ऑडिटर ने ऑडिट में ज्यादा खर्च पर आपत्ति जतायी है। नए दाखिले रोकने के निर्देश दिये गए हैं। इस कारण दाखिलों पर रोक लगाई गई है।
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