झारखंड

7 सालों में कुछ ऐसे बदला सदर हॉस्पिटल, ओंको-नेफ्रो-गैस्ट्रो विभाग शुरू होने से मरीजों को राहत

रांची : राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल सदर में व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं. हॉस्पिटल में आए दिन विभाग खुल रहे हैं ताकि इलाज के लिए मरीजों को कहीं और जाने की जरूरत न पड़े. इतना ही नहीं, अब सुपरस्पेशियलिटी जैसी सुविधाएं भी मरीजों को मिलने से उनका विश्वास सदर हॉस्पिटल के प्रति बढ़ा है. यहीं वजह है कि ओपीडी के साथ इनडोर में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. नेफ्रोलॉजी, ओंकोलॉजी, गैस्ट्रो, कार्डियोलॉजी जैसे विभाग पहले केवल रिम्स में थे, लेकिन अब सदर में भी इन बीमारियों का इलाज हो रहा है. इससे मरीजों को बड़ी राहत मिली है. बता दें कि 2017 में 200 बेड के साथ नए भवन की शुरुआत की गई थी. इसके बाद से लगातार बदलाव देखने को मिला और आज शहर के बीच में यह हॉस्पिटल मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए सीना ताने खड़ा है.

 

500 से अधिक बेड है हॉस्पिटल में

पहले सदर हॉस्पिटल में मात्र 80 बेड थे. उस समय में ज्यादातर डिलीवरी के लिए महिलाएं आती थी. आज उस बिल्डिंग के ठीक बगल में ही सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं वाला सदर हॉस्पिटल खड़ा है. इनडोर में मरीजों के लिए 500 से अधिक बेड है. पैथोलॉजी से लेकर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, आईसीयू, सीसीयू, एचडीयू जैसी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा मरीजों के लिए सेपरेट रूम के भी इंतजाम हैं, जिसे मात्र 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दिया जा रहा है. जिसमें एयर कंडिशन के अलावा सारी सुविधाएं है. वहीं सफाई में तो प्राइवेट हॉस्पिटल वाले भी फेल हो जाए.

 

ओपीडी में टोकन सिस्टम की शुरुआत

सदर हॉस्पिटल ने कुछ चीजों के मामले में प्राइवेट हॉस्पिटलों को भी फेल कर दिया है. वहीं राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स की बात करें वहां भी ऐसी व्यवस्था आज तक नहीं हो पायी. हॉस्पिटल में टोकन मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया गया है, जिससे कि मरीजों को ओपीडी में रजिस्ट्रेशन के बाद टोकन नंबर दे दिया जाता है. नंबर आने पर वह डॉक्टर से जाकर दिखा सकते हैं. इससे लाइन में खड़े होने की झंझट नहीं होती. वहीं लोगों का समय भी बर्बाद नहीं होता है.

 

डिस्पेंसरी और अमृत फार्मेसी

हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए डिस्पेंसरी पहले से चल रही थी. अब हॉस्पिटल में डिस्पेंसरी का एक्सटेंशन किया गया है, जहां पर दवाओं की रेंज भी बढ़ाई गई है. इस काउंटर से मरीजों को दवाएं मुफ्त में दी जाती है. इसके ठीक बगल में ही सरकार ने अमृत फार्मेसी खोला है. जहां पर ब्रांडेड कंपनियों के दवाएं और इंप्लांट भी मरीजों को 60 परसेंट तक डिस्काउंट पर मिल रही है, जिससे साफ है कि मरीजों की जेब पर बोझ न पड़े इसका ध्यान रखा जा रहा है.

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