Jamtara (Rajeev Jha) : करमदाहा का ऐतिहासिक स्थल व प्रसिद्ध दुखिया महादेव मंदिर परिसर सजकर तैयार है. हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर इस ऐतिहासिक स्थल में 15 दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है. इस मेले का उद्घाटन 15 जनवरी यानि बुधवार को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी करेंगे. मेले के उद्घाटन के साथ ही इस ऐतिहासिक स्थल में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जुटान शुरू हो जाएगा. मेला कमेटी के अध्यक्ष इलियास अंसारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
करमदाहा मेला एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है, जहां न केवल धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, बल्कि मनोरंजन और खरीदारी के ढेर सारे विकल्प भी होते हैं. यह मेला जामताड़ा-धनबाद जिला के सीमा पर बराकर नदी के किनारे पर स्थित दुखिया बाबा मंदिर के आसपास आयोजित होता है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. मेले में बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं, जिससे यह मेला हर आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षक बन जाता है. धार्मिक अनुष्ठान, पारंपरिक गीत-संगीत, और विविध प्रकार की दुकानों के साथ मेले में उत्सव का माहौल बना रहता है.
करमदाहा मेला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है और यह मेला कई नामों से जाना जाता है, जिनमें ‘खिचड़ी मेला’ और ‘करमदाहा मेला’ प्रमुख हैं. यह मेला प्राचीन काल से चलता आ रहा है और इसे लेकर कई ऐतिहासिक किस्से भी प्रचलित हैं. एक समय था जब यह इलाका मानभोम जिले का हिस्सा हुआ करता था, जो आज धनबाद के नाम से जाना जाता है. मेला के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग बराकर नदी में स्नान करने के बाद अपने बुरे कर्मों से मुक्ति पाते थे, और इसीलिए इसे ‘करमदाहा’ नाम दिया गया. यह जगह राजा-महाराजाओं के पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध था, जहां वे आकर मनोरंजन करते थे. करमदाहा मेला अब पहले की तुलना में छोटा जरूर हो गया है, लेकिन इसका आकर्षण आज भी बरकरार है.
पहले यह मेला एक महीने तक चलता था, लेकिन अब इसका आयोजन केवल 15 दिन के लिए ही होता है. इस दौरान यहां पर न केवल मनोरंजन के साधन होते हैं, बल्कि घर गृहस्थी से लेकर कृषि संबंधित सामग्री भी बिक्री के लिए उपलब्ध होती है. मेला अब केवल झारखंड से ही नहीं बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से भी लोग आने लगे हैं. इस मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानों के अलावा खेल तमाशे, झूलों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है.
इस साल मेला क्षेत्र में सुरक्षा के दृष्टिकोण से और भी कड़े इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन ने करमदाहा मेला की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और मेले के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य पूरा कर लिया है. इन कैमरों के माध्यम से मेला में आने-जाने वाले लोगों और विशेष भीड़-भाड़ वाले इलाकों की निगरानी की जाएगी. इसके अलावा, बराकर नदी के आने-जाने वाले मार्ग, दुखिया बाबा मंदिर और गोबिंदपुर साहेबगंज मुख्य सड़क मार्ग पर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. यह सुरक्षा व्यवस्था मेला प्रशासन और जिला प्रशासन की तरफ से की गई एक महत्वपूर्ण पहल है. मेले का शुभारंभ होते ही यह क्षेत्र एक नए उत्सवी रंग में रंग जाएगा, और यह मेला निश्चित ही अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाएगा.
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