रांची: आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि सामाजिक न्याय यात्रा के तहत पिछड़ा आरक्षण बढ़ाने की यह लड़ाई पूरे राज्य में वृदह स्वरूप ग्रहण करेगी. चाहे हमारी प्रतिबद्धता की बाजी लग जाए, पिछड़ा आरक्षण बढ़ाने की मांग और जनभावना के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे. आठ अगस्त से शुरू हुआ यह आंदोलन हेमंत सोरेन सरकार के लिए चेतावनी है.

मोराबादी मैदान में आजसू के कार्यकर्ताओं, समर्थकों को संबोधित करते हुए पार्टी प्रमुख ने कहा कि शासक जब कमजोर होता है, वादाखिलाफी करता है, तो जनआवाज को दबाने के लिए पुलिस और बेकरिकेड का इस्तेमाल करता है. तीन दिनों से हेमंत सरकार राजधानी रांची में यही कर रही है.

उन्होंने कहा कि आज विधानसभा में पिछड़ा आरक्षण, नियोजन नीति और जातीय जनगणनना को लेकर सरकार का ध्यान खींचते हुए हमने जानना चाहा कि इन अहम मसलों पर सरकार की मंशा क्या है, तो मुख्यमंत्री का स्पष्ट उत्तर नहीं मिला. सीएम ने पिछड़ा आरक्षण के सवाल पर केंद्र सरकार का हवाला दिया, जबकि हमने कहा कि यह सीधे राज्य से जुड़ा विषय है. ओबासी समाज की नजर राज्य सरकार पर लगी है.

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि जातीय जनगणना को लेकर जनप्रतिनिधियों का एक दल लेकर केंद्र के पास जाएंगे. हमारा कहना है कि उससे पहले विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित करके तो केंद्र सरकार को भेजिए. श्री महतो ने कहा कि 1932 की दुहाई देने वाले लोग अब झारखंडी भावना के खिलाफ नियोजन नीति तय कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि झारखंड में आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग को लेकर 9100 गांवों की यात्रा कर सीएम के नाम लगभग दस लाख स्मरण पत्रों में लोगों से हस्ताक्षऱ कराया गया है. ये महज कागज का टुकड़ा नहीं है, बड़ी आबादी की हकमारी के खिलाफ तहरीर है, जिसकी अनदेखी करना सरकार के लिए आसान नहीं होगी. आजसू ने अलग राज्य की लड़ाई लड़ी है. आंदोलन और संघर्ष में ही कार्यकर्ता रचते-बसते हैं. मोराबादी मैदान से ही सभी कार्यकर्ता, समर्थक संकल्प लें कि यह लड़ाई बड़ी आबादी को हक दिलाकर रहेगी.

इससे पहले सुदेश कुमार महतो, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, रामचंद्र सहिस, डॉ लम्बोदर महतो, कमल किशोर भगत, डॉ देवशरण भगत, शिवपूजन मेहता नेतृत्व में रांची समेत लातेहार, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, और खरसांवा सरायकेला के कार्यकर्ता, समर्थकों का हुजूम उमड़ा. ढोल-नगाड़े के साथ सभी जुलूस की शक्ल में सीएम सचिवालय के लिए निकले, जिन्हें पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोक दिया.

जनादेश का अपमानः चंद्रप्रकाश चौधरी
इस मौके पर आजसू के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि सत्तारूढ़ दलों ने जनादेश का अपमान किया है. उनका घोषणा पत्र, रैली और जनसभा में भाषण, वादे सब कुछ झारखंड की जनता को याद है. पिछड़ा वर्ग अपना हक और संवैधानिक अधिकार मांग रहा है. पौने दो साल की सरकार के पास कोई विजन नहीं है और न ही वादे पूरे करने की मंशा. राज्य में आधी से अधिक आबादी पिछड़ों की है, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार पिछड़ा विरोधी रवैया लगातार अपना रही है. रोजगार, नौकरी वेकैंसी को लेकर युवाओं के साथ सरकार धोखा कर रही है.

अब सामना करने से कतराते हैं- सहिस
रामचंद्र सहिस ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई सबसे ज्यादा आजसू ने लड़ी है और नए सिरे से इस विषय को उठाया गया है, तो मुकम पर पहुंचा कर रहेंगे. सत्तारूढ़ दलों के नेता अब जनता का सामना करने से कतरा रहे हैं. दरअसल उन्होंने वादे बहुत किए लेकिन पौने दो साल से सरकार सिर्फ निजी हितों के काम निपटा रही. जनता के सरोकार से उनका कोई लेना देना नहीं है.

कार्यकर्ताओं को विधायक डॉ लंबोदर महतो, पूर्व विधायक कमलकिशोर भगत, शिवपूजन मेहता ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम में राजेन्द्र मेहता, हसन अंसारी, जयपाल सिंह, सुनील सिंह, अनंत राम टुडू, सपन सिंह देव, सुकरा सिंह मुण्डा, पार्वती देवी, नीरू शांति भगत, नजरूल हसन हासमी, गोपीनाथ सिंह, लाल गुड्डू नाथ शाहदेव, रामदुलर्भ सिंह मुंडा, संजय महतो, रामलखन प्रसाद, सिद्धार्थ महतो, कन्हैया सिंह, छवी महतो, भूपेंद्र पांडेय, अमित पांडेय इत्यादि मुख्य तौर पर मौजूद थे.

तीन दिन और 24 जिले
इससे पहले छह और सात सितंबर को आठ- आठ जिलों के कार्यकर्ता रांची पहुंचे थे. जबकि निर्मल महतो की शहादत दिवस पर आठ अगस्त को सामाजिक न्याय यात्रा की शुरुआत हुई थे. सात दिनों तक 24 जिला के 260 प्रखण्डों में कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव में न्याय मार्च निकाला और लोगों से स्मरण पत्र पर हस्ताक्षऱ कराए. हर दिन अलग-अलग गांव जाकर पिछड़ों को लामबंद किया. सात दिनों में कुल 9100 गांवों में यह न्याय मार्च निकाली गई एवं लाखों स्मरण पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

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