रांची: सांसद संजय सेठ ने झारखंड सरकार के द्वारा पेश किए गए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट में गांव, गरीब, किसान, युवा के लिए कुछ नहीं है. यह बजट सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाने वाला बजट है. झारखंड ने 1.28 लाख करोड़ का बजट पेश किया है. यह पिछली बार से 10% अधिक है. पर सरकार पिछले वर्ष की राशि का मात्र 54% ही खर्च कर पाई है. सिर्फ बजट बनाने से नहीं, विकास सरकार को धरातल पर उतरना सबसे बड़ी जिम्मेवारी है. उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने बजट का आधा हिस्सा ही खर्च कर पाई हो, उस सरकार के विकास का पैमाना इसी से लगाया जा सकता है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि गठबंधन की सरकार ने जो वादे किए थे, हर साल 5 लाख नौकरी देंगे उसका क्या हुआ. नौकरी नहीं तो बेरोजगारी भत्ता देंगे उसका क्या हुआ. जब भाजपा की सरकार थी तो किसानों को 5000 रुपए प्रति एकड़ दिया जाता था, 2000 केंद्र सरकार दे रही है. कुल 7000 प्रति एकड़ किसानों को मिलता था. झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनते ही इस योजना को बंद कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि सरकार का अंतिम बजट है. इसमें कुछ प्रावधान करेंगे पर फिर इस बार किसानों के साथ गठबंधन की सरकार ने छल करने का काम किया है. गरीबों को धोती, साड़ी, दाल, चीनी देने का वादा क्या हुआ. 6 महीने में एक बार दिया जाता है, वह भी बड़ी मुश्किल से. उन्होंने कहा कि किसानों के धान खरीदी का क्या हुआ. खरीदी के पश्चात समय पर पैसा नहीं मिलना, गिला धान का बहाना बनाकर धान नहीं खरीदना. शिक्षा का हाल बेहाल है. बच्चों को कॉपी, किताब, ड्रेस, नहीं दिया जा रहा है. गांव में मात्र 8 से 10 घंटे बिजली रहती है. महीनों से खराब पड़े ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा रहे हैं. अबुआ आवास के नाम पर घोटाला और अनिमियता के खिलाफ गांव के लोग आंदोलीत हैं. जो नौकरी में है वह आंदोलित है. रोज धरना प्रदर्शन हो रहा है. कुल मिलाकर यह बजट सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाने वाला है. झारखंड की आत्मा गांव में बसती है. गांव, गरीब, किसान, युवा के लिए इस बजट में कुछ नहीं है.

ये भी पढ़ें: जामताड़ा: हेमंत सोरेन की सलामती के लिए दो दिवसीय सुंदरकांड पाठ का आयोजन

Share.
Exit mobile version